दिल्ली पुस्तक मेले की थीम अबकी बार ‘कौशल विकास’
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दिल्ली पुस्तक मेले की थीम अबकी बार ‘कौशल विकास’

29 अगस्त से शुरू हो रहे दिल्ली पुस्तक मेले के 21वें सत्र की थीम कौशल विकास पर आधारित है। भारतीय प्रकाशक संघ और भारतीय व्यापार प्रोत्साहन संघ की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस पुस्तक मेले की थीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए ‘स्किल इंडिया’ अभियान से प्रेरित है।

दिल्ली पुस्तक मेले की थीम अबकी बार ‘कौशल विकास’

नई दिल्ली : 29 अगस्त से शुरू हो रहे दिल्ली पुस्तक मेले के 21वें सत्र की थीम कौशल विकास पर आधारित है। भारतीय प्रकाशक संघ और भारतीय व्यापार प्रोत्साहन संघ की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित इस पुस्तक मेले की थीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में शुरू किए गए ‘स्किल इंडिया’ अभियान से प्रेरित है।

प्रगति मैदान में नौ दिन तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में कई साहित्यिक गोष्ठियां और सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा बच्चों के लिए भी कई गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। प्रमुख प्रकाशकों की भागीदारी वाले इस पुस्तक मेले में पुस्तक अनावरण और लेखकों के साथ संवाद भी होंगे।

भारतीय प्रकाशक संघ के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने कहा, ‘‘एक समर्पित लाउंज के लिए हमारे पास बड़ी संख्या में पुस्तकें हैं, जो पुस्तक प्रेमियों को बता सकती हैं कि कौशल विकास से क्या-क्या किया जा सकता है और कौशल विकास किस तरह से युवाओं की जिंदगी बदल सकता है। हमें उम्मीद है कि पुस्तक मेले से वापस जाने पर ये युवा सिर्फ भारत के उद्योगों को सहयोग देने के मामले में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में कौशल विकास का संदेश प्रसारित करने के लिए उर्जा से भरपूर होंगे।’’ 

दिल्ली पुस्तक मेले की शुरूआत वर्ष 1995 में आईटीपीओ (Indian Trade Promotion Organisation) की मदद से हुई थी।

गुप्ता ने कहा, ‘‘दिल्ली में पाठ्य पुस्तकों से इतर पुस्तकें मिलना मुश्किल था। पुस्तक प्रेमियों को कला, संस्कृति, इतिहास जैसे विभिन्न विषयों की किताबें लेने के लिए विभिन्न स्थानों पर जाना पड़ता था। यह पुस्तक मेला पुस्तक प्रेमियों के लिए एक प्रमुख बिंदू बन गया है। यहां उन्हें एक वातानुकूलित छत के नीचे पढ़ने का एक बहुत अच्छा माहौल मिलता है, जहां वे सभी प्रकार की पुस्तकें चुन सकते हैं और खरीद सकते हैं।’’ आईटीपीओ के सहयोग ने इस पुस्तक मेले को व्यापार मेले के बाद आने वाले सबसे बड़े मेलों में से एक बना दिया है।

गुप्ता ने कहा, ‘‘पुस्तक मेले को अब सभी पुस्तक प्रेमी, छात्र, शिक्षक, माता-पिता, प्यार करते हैं। ये सभी अपनी पसंद की किताब खरीदने के लिए इस मेले में जाने का इंतजार कर रहे हैं। इस पुस्तक मेले में अब पारंपरिक पुस्तकों के साथ-साथ डिजीटल पुस्तकें भी उपलब्ध हैं।’’ दिल्ली पुस्तक मेले के लिए लगने वाले स्टालों के लिए लगभग 4000 वर्ग मीटर का क्षेत्र बुक किया गया है जबकि पूरे मेले के लिए लगभग 10 हजार वर्गमीटर का क्षेत्र निर्धारित है।

आयोजकों का अनुमान है कि मेले में लगभग 15 लाख लोग आएंगे, जिनमें स्कूली छात्र भी शामिल होंगे। इस साल मेले का समय एक घंटा बढ़ा दिया गया है। इसे सुबह 10 बजे से रात आठ बजे तक किया गया है ताकि बच्चे मेले का आनंद उठा सकें। स्कूल की ड्रेस पहनकर शिक्षकों के साथ आने वाले बच्चों को मुफ्त प्रवेश दिया जाएगा।

मेले में अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों के आने की भी संभावना है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस साल मेले में चीन, कोरिया, सिंगापुर और पाकिस्तान के शामिल होने की उम्मीद है।’’ इस साल पुस्तक मेला एक सांस्कृतिक केंद्र बन गया है। हमने इस दौरान नुक्कड़ नाटक, डांस शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम, वाद-विवाद, चित्रकारी प्रतियोगिता, कहानी सुनाने की प्रतियोगिता, खुद की अभिव्यक्ति का कोना जैसी गतिविधियों की योजना बनाई है। प्रतियोगिताएं सभी छात्रों के लिए खुली हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हिंदी प्रकाशक संघ हिंदी में प्रकाशन सुधारने पर एक बड़ी गोष्ठी का भी आयोजन कर रहा है। साहित्य जगत की दिग्गज हस्तियों के साथ संवाद और झुग्गी बस्तियों के बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम पूरे परिवार के लिए ही आकर्षण का केंद्र रहने वाले हैं।’’ छह सितंबर को संपन्न होने वाले इस पुस्तक मेले में पुस्तक निर्माण में उत्कृष्टता का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके अलावा दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को समर्पित एक विशेष थीम वाला पवेलियन भी प्रमुख आकर्षण होगा।

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