कोरोना का खौफ! चीन की एक और गाइडलाइन आई सामने, कुत्तों का मांस खाने पर लगाई रोक
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कोरोना का खौफ! चीन की एक और गाइडलाइन आई सामने, कुत्तों का मांस खाने पर लगाई रोक

कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए चीन ने कुत्तों का मांस खाने पर रोक लगा दी है. चीन के कृषि मंत्रालय ने नई गाइडलाइन तैयार की है.

फाइल फोटो

बीजिंग: कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप को देखते हुए चीन ने कुत्तों का मांस खाने पर रोक लगा दी है. चीन के कृषि मंत्रालय ने नई गाइडलाइन तैयार की है, जिसके तहत कुत्तों को अब पशुधन नहीं बल्कि पालतु जानवर माना जाएगा. अब तक चीन में कुत्ते और बिल्लियों को बड़े पैमाने पर मांस के लिए मौत के घाट उतारा जाता रहा है.

‘ह्यूमन सोसायटी’ ने सरकार के इस फैसले को पशु कल्याण की दिशा में संभावित "गेम चेंजर" करार दिया है. हालांकि, कई क्षेत्रों में कुत्ते के मांस को स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ के रूप में देखा जाता है, लेकिन कृषि मंत्रालय ने नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि कुत्तों को अब पशुधन नहीं माना जाएगा. गौरतलब है कि पशुधन आमतौर पर जीविका अथवा लाभ अर्जित करने के लिए पाले जाते हैं. जैसे कि उनसे भोजन, दूध, खाल आदि प्राप्त करना या खेल एवं सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करना.   

कृषि मंत्रालय के नोटिस में कहा गया है, ‘जहां तक कुत्तों का सवाल है, मानव सभ्यता की प्रगति और जानवरों के संरक्षण के लिए लोगों की बढ़ती चिंता और प्यार के मद्देनजर कुत्ते अब साथी पशु बन गए हैं, और अंतर्राष्ट्रीय रूप से इन्हें पशुधन नहीं माना जाता है और अब इन्हें चीन में भी पशुधन के तौर पर नहीं गिना जाएगा’. हालांकि, यह बात अलग है कि चीन सरकार का यह फैसला कुत्तों के प्रति प्यार नहीं बल्कि कोरोना से उपजे खौफ का परिणाम है. माना जाता है कि कोरोना वायरस हॉर्स्शू मगादड़ों में उत्पन्न हुआ, और फिर यह वुहान के बाजारों में बिक्री के लिए लाये गए अन्य प्रजातियों के पशुओं से होते हुए इंसानों में फैला. वुहान में ही सबसे पहले वायरस के संक्रमण का पता चला था.  

चीन ने बाद में वन्यजीवों के प्रजनन, व्यापार और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया, और सभी मौजूदा लाइसेंसों को रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं उसने प्रतिबंध को स्थायी बनाने के लिए कानून में संशोधन की बात भी कही है. बुधवार को प्रकाशित मसौदा गाइडलाइन में 18 पारंपरिक पशुधन प्रजातियों का जिक्र है, जिसमें मवेशी, सूअर, मुर्गी और ऊंट शामिल हैं. साथ ही 13 इसमें "विशेष" प्रजातियों को भी जोड़ा गया, जो जंगली जानवरों के व्यापारिक प्रतिबंधों से मुक्त होंगी. यानी उन्हें खरीदा-बेचा जा सकेगा. इन 13 प्रजातियों में बारहसिंगा, ऐल्पैक (भेड की नस्ल का पशु), तीतर, शुतुरमुर्ग और लोमड़ी शामिल हैं. 

यहां सबसे पहले लगी रोक
कोरोना के खौफ को देखते हुए चीन के शेन्जेन शहर ने सबसे पहले कुत्ते और बिल्लियों का मांस खाने पर रोक लगाई है. अपने इस फैसले के संबंध में शेन्जेन सरकार की तरफ से कहा गया है कि कुत्ते और बिल्ली जैसे पालतू जानवर इंसानों के काफी करीब हैं और कई अन्य देशों में भी इनके मांस पर प्रतिबंध हैं. इसी के मद्देनजर शेन्जेन में भी कुत्ते और बिल्ली को भोजन के रूप में इस्तेमाल किये जाने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है.

हर साल मरते हैं इतने
पशु कल्याण की दिशा में काम करने वाली ‘ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल’ के अनुसार, चीन में अभी भी लगभग 10 मिलियन कुत्ते मांस के लिए मारे जाते हैं, जिनमें चोरी किये जाने वाले पालतू पशु भी शामिल हैं. गुआंग्शी के क्षेत्र में युलिन शहर में हर साल डॉग मीट फेस्टिवल आयोजित किया जाता है. भले ही चीन ने अभी कुत्तों को मारने पर रोक लगा दी है, लेकिन जिस तरह का उसका रिकॉर्ड रहा है, उसे देखते हुए यह मानना मुश्किल है कि वो भविष्य में भी इस फैसले पर कायम रहेगा.

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