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नई दिल्ली: रक्षा बंधन (Raksha Bandhan) की पूर्व संध्या पर एक भाई ने गुर्दे (Kidney) की बीमारी से पीड़ित बहन को अपनी किडनी दान करके उसे नया जीवन दिया है. आकाश हेल्थकेयर के डॉक्टरों ने बताया कि हरियाणा के रोहतक (Rohtak) की रहने वाली 31, वर्षीय महिला पिछले 5 साल से किडनी की बीमारी से पीड़ित थीं और लंबे समय से उसका इलाज करा रहीं थीं. हाई ब्लड प्रेसर (High Blood Pressure) पर ध्यान नहीं देने की वजह से उनकी किडनी को नुकसान पहुंचा.
इस मामले पर डॉक्टरों ने कहा, 'दुर्भाग्यवश, कई अन्य मरीजों की तरह ही वह भी डायलिसिस (Dialysis) से जुड़ी अफवाहों का शिकार हो गईं और इस प्रक्रिया को शुरू करने में देरी की. इसकी वजह से उनकी हालत और खराब हो गई. तीन साल पहले उनकी हालात अचानक बिगड़ गई और उन्हें आईसीयू (ICU) में भर्ती कराना पड़ा. इसके बाद कमजोर प्रतिरोधक क्षमता (Weak Immunity) की वजह से वह टीबी का शिकार हो गईं और दिल के काम करना बंद करने से उनके फेफड़े में द्रव (Fluid) भर गया.'
डायलिसिस में देरी और अनियंत्रित रक्तचाप (Uncontrolled BP) की वजह से उनका दिल कमजोर होने लगा. अन्य इलाज के साथ डायलिसिस प्रक्रिया भी शुरू हुई और उचित इलाज से उनके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा. हालांकि, उनकी संपूर्ण स्थिति की जांच और उनकी कम उम्र को देखते हुए डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट (Kidney Transplant) की सलाह दी. महिला का किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले द्वारका के आकाश हेल्थकेयर के किडनी से संबंधित विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉक्टर विक्रम कालरा ने कहा कि उन्हें अस्पताल में तीन बार डायलिसिस की जरूरत पड़ने लगी थी और बाद में उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया.
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एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि महिला के परिवार के कई लोगों ने किडनी डोनेट करने की पेशकश की, लेकिन ब्लड ग्रुप नहीं मिलने की वजह से वह इसके लिए सही उम्मीदवार नहीं पाए गए. इसके बाद उसके 28 वर्षीय भाई का ब्लड ग्रुप मिल गया और 5 घंटे की सर्जरी में किडनी ट्रांसप्लांट कर दिया गया. महिला के शरीर ने इस अंग को स्वीकार भी कर लिया और उनकी हृदय गति में भी सुधार देखा गया है. अब वह अब सामान्य जीवन जी सकती हैं और जब कभी चाहे तो मां भी बन सकती हैं.
युवक ने कहा, 'मेरी बहन काफी दर्द में थी और यह मेरे बर्दाश्त से बाहर था. डॉक्टरों ने जब कहा कि ब्लड ग्रुप मिलने की वजह से अंगदान कर सकता हूं और उन्होंने जब मेरे सारे सवालों के जवाब दे दिए तो मैंने किडनी डोनेट करने के लिए हामी भरने से पहले एक बार भी नहीं सोचा. मेरी बहन मेरे लिए बेशकीमती है और मैं बहुत खुश हूं कि वह अब खुशी से अपना जीवन जी सकती है.'
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