भारत में साइबर ठगी के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. ठग आए दिन ठगी के नए-नए तरीके ढूंढते रहते हैं.
वहीं अब आप कुछ दिनों से डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) का शब्द भी सुन रहे है. ये शब्द इन दिनों काफी सुर्खियों में है. इन डिजिटल अरेस्ट के नाम पर कई लोगों को लाखों करोड़ों रुपये का नुकसान हो जाता है.
हाल ही में राजधानी पटना में पटना यूनिवर्सिटी की रिटायर महिला प्रोफेसर से 3 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. लेकिन क्या आप जानते है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
दरअसल, डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का स्कैम होता है. यह एक तरह से साइबर ठगी होती है. इसके जरिए लोगों का शोषण किया जाता है.
हालांकि बता दें कि कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं है. इस शब्द का प्रयोग साइबर अपराधियों द्वारा किया जाता है.
इसमें व्यक्ति को फोन पर या फिर ऑनलाइन संचार के माध्यम से गिरफ्तार करने का झूठा दावा किया जाता है. अपराधियों का मकसद केवल लोगों में दहशत फैलाना है.
अपराधी व्यक्ति को ये यकीन दिलाते है कि वे अपराधिक घटना में शामिल है. जिसके बाद उससे बड़ी रकम ऐंठी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया को स्टेप बाय स्टेप किया जाता है.
इस वारदात में अपराधी व्यक्ति को धमकी या लालच देकर कई दिनों तक शिकार बनाया जाता है और उससे पैसे ठगे जाते है. इसी के साथ कैमरे के सामने बने रहने के लिए मजबूर किया जाता है.
इन सब के वजह से व्यक्ति घबरा जाता है और अपनी सभी जानकारी अपराधियों को दे देता है. जिसका इस्तेमाल अपराधी करने लग जाते है और रकम वसूलते रहते है.
बता दें कि इस पूरे स्कैम की शुरुआत सरल मैसेज, ईमेल, या फिर व्हाट्सएप मैसेज के जरिए होती है.