Mundan Sanskar: हिंदू धर्म में बच्चों के जन्म के बाद क्यों किया जाता है मुंडन संस्कार, क्या है महत्व?

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Dec 22, 2024

चूड़ाकर्म संस्कार

हिंदू धर्म में मुंडन संस्कार एक अहम संस्कार है. ये 16 संस्कारों में से आंठवा संस्कार होता है. जिसे चूड़ाकर्म संस्कार के नाम से भी जाना जाता है.

सिर से बाल

मुंडन संस्कार बच्चे के जन्म के बाद की जाती है, इसमें जन्म के बाद बच्चे के सिर से बाल को पहली बार उतारा जाता है.

मुंडन संस्कार

यह संस्कार बच्चे के जन्म के 1, 3, 5 या 7 साल बाद किया जाता है. अलग-अलग जगह पर अलग समय अवधि के अनुसार बच्चे का मुंडन संस्कार किया जाता है.

शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में किसी भी बच्चे के मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त और दिन को सबसे पहले निर्धारित किया जाता है.

पूर्व जन्म के कर्म

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, बच्चे के जन्म के साथ उसके सिर पर उगे हुए बाल उसके पूर्व जन्म के कर्मों से जुड़े होते हैं. ऐसे में मुंडन कराने से बच्चे को पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति मिलती है.

अशुद्धियां

मान्यता है कि मुंडन कराने से बच्चे में गर्भावस्था की अशुद्धियां दूर होती हैं और उसका स्वास्थ्य बेहतर रहता है.

शारीरिक और मानसिक विकास

कहा जाता है कि मुंडन कराने से बच्चे में बल, तेज और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहतर होता है.

विटामिन D

मुंडल में बच्चे के सिर से बाल को पूरी तरह से हटा दिया जाता है, जिससे सिर में सीधे सूरज की रोशनी लगती है, इससे बच्चे के शरीर को विटामिन डी मिलती है. जो उसके विकास और स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होता है.

धार्मिक स्थान

हिंदू धर्म में बहुत लोग अपने बच्चे का मुंडन किसी धार्मिक स्थान और पवित्र नदी के किनारे करते हैं. बहुत लोग इसे अपने घर में भी आयोजन के रूप में करते हैं.

पवित्र जल से सिर धोना

बच्चे का मुंडन कराने के बाद उसके सिर को पवित्र जल से धुला जाता है और फिर सिर पर हल्दी लगाई जाती है. बड़े-बुजुर्ग बच्चे को आशीर्वाद देते हैं. बच्चे को नए वस्त्र और आभूषण दिए जाते हैं.

Disclaimer

यहां प्रस्तुत की गई जानकारी सामान्य धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. Zee न्युज इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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