जातीय जनगणना पर नीतीश सरकार को 'सुप्रीम' झटका, खारिज हुई याचिका
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जातीय जनगणना पर नीतीश सरकार को 'सुप्रीम' झटका, खारिज हुई याचिका

जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से भी नीतीश सरकार को जोरदार झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. 

(फाइल फोटो)

caste census: जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट से मिले झटके के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से भी नीतीश सरकार को जोरदार झटका मिला है. सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है. 

ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बिहार सरकार की तरफ से दी गई याचिका खारिज होने के बाद अब यह साफ हो गया है बिहार में जाति आधारित जनगणना एव आर्थिक सर्व पर पटना उच्च न्यायालय की तरफ से जो रोक लगाई गई है वह बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट की तरफ से लगी हुई रोक को हटाने से साफ इंकार कर दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की तरफ से पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट की तरफ से लगाए गए जातिगत जनगणना पर जारी आदेश को हटाने से इंकार किया है और बिहार सरकार के द्वारा दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है. 

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जातीय जनगणना को लेकर नीतीश सरकार को यह सुप्रीम झटका दिया गया है. इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के जातीय जनगणना के फैसले पर रोक लगा दी और इसके बाद नीतीश सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. जहां सुप्रीम कोर्ट की तरफ से भी राज्य सरकार को झटका देते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर उसपर मुहर लगा दी है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से साफ हो गया कि पटना हाईकोर्ट का फैसला सही थी औ इसमें किसी तरह के बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है. 

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सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बिहार सरकार को यह भी कहा गया कि यहां आने से पहले 3 जुलाई को पटना हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान पहले बिहार सरकार को हाजिर होना जरूरी है. अगर वहां पटना उच्च न्यायालय के फैसले से बिहार सरकार संतुष्ट नहीं होती है तो सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 14 जुलाई को सुनवाई करेगी. 

बता दें कि बुधवार को बिहार सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी थी. सुनवाई तो होती लेकिन जस्टिस संजय करोल ने इस सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने कहा था कि वह बिहार में जब वह चीफ जस्टिस थे तो इस मामले में पक्षकार भी रह चुके हैं ऐसे में वह इस सुनवाई से खुद को अलग करते हैं. गुरुवार को ऐसे में इस मामले पर अगली सुनवाई की तारीख तय की गई और फिर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बिहार सरकार को झटका देनेवाला यह फैसला आया. 

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