New Parliament: विपक्ष में विरोध की मशाल थामने की होड़, 20 दलों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार, RJD सबसे आगे निकली
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New Parliament: विपक्ष में विरोध की मशाल थामने की होड़, 20 दलों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार, RJD सबसे आगे निकली

जब पीएम मोदी नई संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे तो राष्ट्रीय जनता दल के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिससे एक तरफ ताबूत की तस्वीर है तो दूसरी तरफ नई संसद भवन की. फिर क्या था, टीवी चैनलों की सुर्खियों में परिवर्तन हुआ और राष्ट्रीय जनता दल के ट्वीट पर फोकस हो गया और बहस का विषय ही बदल गया.

नई संसद भवन का उद्घाटन

RJD Controversial Tweet: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 मई यानी रविवार को नई संसद भवन का उद्घाटन किया. वैदिक मंत्रोच्चार और सर्व धर्म प्रार्थना के साथ नई संसद भवन को देशवासियों को समर्पित किया गया. इस दौरान कमी दिखी तो सिर्फ उन 20 दलों की, जिन्होंने इसका बहिष्कार किया. विपक्षी दलों की दलील है कि नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति को करना चाहिए था, प्रधानमंत्री को नही. यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी गया था पर सर्वोच्च अदालत ने इसमें कोई ऐसी बात महसूस नहीं की, जिससे संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन होता है. फिर भी ये 20 दल विरोध पर अड़े रहे. विरोध की बयार में लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल सभी से आगे निकल गई. 

जब पीएम मोदी नई संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे तो राष्ट्रीय जनता दल के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया, जिससे एक तरफ ताबूत की तस्वीर है तो दूसरी तरफ नई संसद भवन की. फिर क्या था, टीवी चैनलों की सुर्खियों में परिवर्तन हुआ और राष्ट्रीय जनता दल के ट्वीट पर फोकस हो गया और बहस का विषय ही बदल गया. हालांकि, राजद के इस ट्वीट पर सहयोगी जदयू ने ही एनडोर्स नहीं किया और समाजवादी पार्टी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की. हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने इस ट्वीट का तीखा विरोध किया और कहा कि राजद का कोई स्टैंड नहीं है. 

लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि विरोध की इंतहा तक जाते हुए राष्ट्रीय जनता दल ने पूरी बहस को अपनी ओर मोड़ दिया. राजनीति विज्ञान में इसे एक तरह की स्ट्रैटजी माना जाता है. अब देखिए, 20 दल नई संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं, जिनमें कांग्रेस, एनसीपी, द्रमुक, जेडीयू, सपा, शिवसेना उद्धव गुट, टीआरएस, टीएमसी आदि शामिल हैं. फिर भी राष्ट्रीय जनता दल की चर्चा हो रही है. एक बात और है कि राष्ट्रीय जनता दल ने यह ट्वीट स्ट्रैटजिकली किया है. दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल विरोध की मशाल तो थामना ही चाहती थी, वह अपने आधारभूत वोटरों को भी इसके माध्यम से संबोधित कर रही थी. 

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राष्ट्रीय जनता दल अपने इस ट्वीट के माध्यम से अपनी सहयोगी दल जेडीयू से आगे निकल गई. दरअसल, नीतीश कुमार पिछले कुछ समय से विपक्षी एकता के लिए अपने प्रयास के जरिए टीवी चैनलों की हेडलाइंस में प्रमुखता पा रहे थे और तेजस्वी यादव को वह फोकस नहीं मिल रहा था. इससे राजद के अंदर बेचैनी महसूस की जा रही थी. राजद विपक्षी एकता और भाजपा के खिलाफ एक प्रत्याशी के कान्सेप्ट की मजबूरी के जरिए कुछ कर नहीं पा रही थी, लेकिन अब विरोध की इंतहा तक जाते हुए राजद ने टीवी चैनलों का फोकस अपनी ओर मोड़ लिया है. 

हालांकि ऐसा नहीं है कि जेडीयू पीछे रही. जेडीयू ने भी एक ट्वीट कर जाहिर किया कि नई संसद के उद्घाटन के जरिए कलंक की गाथा लिखी जा रही है. यह नई संसद भवन के उद्घाटन का विरोध तो है ही, विरोधी दलों में आगे दिखने की रस्साकशी भी दिखा रहा है. अभी दो दिन पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था कि 2024 में जब सरकार बदलेगी तो नई संसद में कुछ और काम कराया जाएगा. खुद नीतीश कुमार ने तो यहां तक कह दिया कि नई संसद भवन की जरूरत ही क्या थी. उसी संसद भवन में आगे-पीछे एडजस्टमेंट कर दिया जाना चाहिए था. ऐसा बोलते हुए उन्होंने बिहार विधानसभा में किए गए एडजस्टमेंट का भी जिक्र कर दिया. नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह का विरोध कर रहे नीतीश कुमार यह भूल गए कि 17 साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने राज्यपाल को उद्घाटन करने का कोई मौका नहीं दिया था.

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