बाहुबली नेता आनंद मोहन 26 मई को मोतिहारी आने वाले हैं. इससे उनके समर्थक काफी उत्साहित हैं और कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं.
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Anand Mohan Political Power: बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन के जेल से बाहर आने पर राजनीतिक पारा काफी चढ़ा हुआ है. उनकी रिहाई पर अभी भी बयानबाजी जारी है. जेल से बाहर आने के बाद आनंद मोहन तकरीबन 16 साल बाद मोतिहारी जाने वाले हैं. वो 26 मई को मोतिहारी के पतोही में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. ये कार्यक्रम फ्रेंड्स ऑफ आनंद संगठन की ओर से आयोजित किया जा रहा है. माना जा रहा है कि ये कार्यक्रम उनकी रिहाई को लेकर किया जा रहा है. कार्यक्रम में उनका भव्य स्वागत करने की योजना है.
इस कार्यक्रम में आनंद मोहन के साथ उनकी पत्नी और पूर्व सांसद लवली आनंद, उनके बेटे और शिवहर से विधायक चेतन आनंद और छोटे बेटे अंशुमान आनंद भी शिरकत करेंगे. आनंद मोहन के आने से उनके समर्थक काफी उत्साहित हैं और कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं. आनंद मोहन का मोतिहारी दौरा, बिहार की सियासत पर काफी प्रभाव डाल सकता है.
सियासत में कितना पड़ेगा असर?
दरअसल, आनंद मोहन राजपूत समाज के बड़े नेता माने जाते हैं और बिहार में राजपूत समाज की 6 फीसदी से ज्यादा आबादी है. कई सीटों पर इस समाज के लोग हार-जीत का फैसला करते हैं. शिवहर, पूर्वी चंपारण और मोतिहारी जिले में इस समाज के लोगों का वर्चस्व है. यही कारण है कि आनंद मोहन की रिहाई को लेकर पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. नीतीश सरकार ने भी इस समाज का वोट पाने के लिए ही नियमों में बदलाव करके आनंद मोहन को रिहा किया है.
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बीजेपी को क्यों है खतरा?
आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बीजेपी के अंदर काफी कन्फ्यूजन देखने को मिली. पार्टी का एक धड़ा आनंद मोहन की रिहाई का समर्थन करता नजर आया तो वहीं सुशील मोदी जैसे नेता इस फैसले के विरोध में खड़े दिखाई दिए. इसे थोड़ा और आसान भाषा में कहें तो पार्टी के राजपूत नेताओं ने आनंद मोहन की रिहाई का समर्थन किया, जबकि अन्य बिरादरी के नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया. अब आनंद मोहन के कारण राजपूत समाज का वोट बीजेपी से महागठबंधन में शिफ्ट हो सकता है. बीजेपी को धमकी देते हुए आनंद मोहन भी कह चुके हैं कि मैं हाथी हूं, कमल को कुचल दूंगा.