Unity of Opposition Leaders: राहुल नहीं तो कौन, अब उलझ गई विपक्षी खेमे में पीएम पद के उम्मीदवारों की दावेदारी
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Unity of Opposition Leaders: राहुल नहीं तो कौन, अब उलझ गई विपक्षी खेमे में पीएम पद के उम्मीदवारों की दावेदारी

'मोदी सरनेम' बयान के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ अदालत की तरफ से 2 साल की सजा कै फैसला आने के बाद लोकसभा सचिवालय की तरफ से उनकी सांसदी रद्द कर दी गई. राहुल गांधी केरल का वायनाड से सांसद थे.

(फाइल फोटो)

Unity of Opposition Leaders: 'मोदी सरनेम' बयान के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ अदालत की तरफ से 2 साल की सजा कै फैसला आने के बाद लोकसभा सचिवालय की तरफ से उनकी सांसदी रद्द कर दी गई. राहुल गांधी केरल का वायनाड से सांसद थे. अब आपको बता दें कि इसके साथ ही राहुल गांधी अब 8 साल तक चुनावी राजनीति नहीं कर सकेंगे. मतलब 8 साल तक वह चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे. ऐसे में विपक्षी एकता की बात करनेवाले नेताओं को तगड़ा झटका लगा है. एक तरफ भाजपा और दूसरी तरफ अन्य सियासी विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ लामबंद होने की अभी कोशिश ही कर रहे थे कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह झटका सबको अंदर से हिला गया. 

दरअसल कांग्रेस की तरफ से अभी तक विपक्षी दलों के साथ गठबंधन को लेकर पत्ता नहीं खोला गया था. हां कई मंच से कांग्रेस के नेता इशारों-इशारों में राहुल को पीएम पद का उम्मीदवार बताने से नहीं चुक रहे थे और साथ ही विपक्ष के किसी और नेता को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर मानने से साफ इंकार कर रहे थे. वैसे राहुल गांधी नहीं तो कौन के सवाल पर चार-पांच नाम जो भाजपा को टक्कर दे पाने वाले सियासी चेहरे हैं उनमें से ममता बनर्जी, केसीआर, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार और नीतीश कुमार शामिल हैं. 

आपको बता दें कि नीतीश कुमार की सियासी महत्वाकांक्षा लंबे समय से देश का पीएम बनने की रही है. यह समय-समय पर नजर भी आई है. आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार इसी ख्याल से भाजपा से गठबंधन तोड़ चुनाव मैदान में उतरी थी. हालांकि तब नीतीश कुमार को तगड़ा झटका लगा था. इसके बाद 2019 में नीतीश एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बन गए. हालांकि बिहार में नीतीश ने एक बार फिर NDA का साथ छोड़कर बता दिया कि वह फिर से पीएम उम्मीदवार के तौर पर विपक्ष की तरफ से मैदान में आ सकते हैं. हालांकि वह इससे इनकार करते रहे हैं. लेकिन आपको बता दें कि नीतीश विपक्ष को एकजुट करने के अभियान पर कुछ दिन पहले निकले थे और देश के हर बड़े विपक्षी नेता से उन्होंने मुलाकात की थी. हालांकि नीतीश को पीएम फेस मानने से उनके बिहार में गठबंधन के दल कांग्रेस को ही इनकार है. 

ऐसे में राहुल के खिलाफा कार्रवाई के बाद अब एक बार फिर से भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता की मांग तेज होने लगी है. आपको बता दें कि भाजपा से हमेशा खार खाई रहनेवाली पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को विपक्ष का सबसे ताकतवर पीएम चेहरा माना जा रहा है. विपक्षी नेता ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के खिलाफ भी एकजुट नजर आ रहे हैं. लेकिन 2019 से पहले का वह दिन भी याद आता है जब सभी सियासी विपक्ष दलों के नेता एक सात मंच पर पश्चिम बंगाल में नजर आए थे और फिर 2019 के चुनाव से पहले सभी दल बिखर गए थे. 

कांग्रेस के साथ ममता की अनबन सबको पता है लेकिन जिस तरह से उन्होंने राहुल के खिलाफ एक्शन के बाद त्वरित प्रतिक्रिया दी उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं. सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के खिलाफ पीएम मोदी को 9 विपक्षी दलों ने चिट्ठी लिखी तो वहीं 16 से ज्यादा विपक्षी दल इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. हालांकि कांग्रेस से अनबन रखने वाली तृणमुल कांग्रेस इस  मुद्दे पर कांग्रेस के साथ दिख रही है. 

वैसे तो पीएम पद के दावेदारों की लंबी लिस्ट विपक्ष में है लेकिन कांग्रेस पहले ही राहुल का अपना फेस बता चुकी थी ऐसे में अब जब राहुल के खिलाफ एक्शन हो गया है तो एक बार फिर से सभी विपक्षी चेहरे जो पीएम पद का दावेदार खुद को मानते हैं एक्शन मोड में आ गए हैं.   कांग्रेस के बाद विपक्षी एकता की कोशिश सबसे पहले ममता बनर्जी, केसीआर और नीतीश कुमार ने शुरू की थी. हालांकि केसीआर और नीतीश से ज्यादा बड़ा चेहरा विपक्ष के लिए पीएम पद के उम्मीदवार के तर पर माने तो ममता है. ममता के खिलाफ न तो शरद पवार हैं ना शिवसेना, ना तो केजरीवाल हैं और न ही नीतीश कुमार, अखिलेश यादव तो पहले ही ममता से मिल चुके हैं. अब राहुल पीएम पद के उम्मीदवार नहीं रह गए तो ऐसे में कांग्रेस को भी साथ लाने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी.  

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