आजादी के पहले जब चम्पारण में निलहों का दमन किया जा रहा था और अंग्रेज यहां नील की खेती कर किसानों व मजदूरों का शोषण कर रहे थे. तब पंडित राजकुमार शुक्ल व पंडित कमलनाथ तिवारी के बुलावे पर यहां महात्मा गांधी पहुचे थे.
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पटना : बगहा के बनकटवा स्थित कांग्रेसी मंदिर की कहानी ऐतिहासिक होने के साथ-साथ बेहद दिलचस्प और रोचक इस लिए भी है कि यहां बापू आया करते थे. इसी मंदिर से आजादी की इबारत लिखी जाती थी. स्वतंत्रता सेनानियों की लंबी फेहरिस्त खड़ी करने वाली यह कांग्रेसी मंदिर आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आइए जानते है 74 वां गणतंत्र दिवस पर आजादी से जुड़े किस्से, जो जनने जरूरी है.
कांग्रेसी मंदिर में महात्मा गांधी ने लिखी थी आजादी की गाथा
आजादी के पहले जब चम्पारण में निलहों का दमन किया जा रहा था और अंग्रेज यहां नील की खेती कर किसानों व मजदूरों का शोषण कर रहे थे. तब पंडित राजकुमार शुक्ल व पंडित कमलनाथ तिवारी के बुलावे पर यहां महात्मा गांधी पहुचे थे. फिर यहीं से आजादी के कई रणबांकुरों के साथ इसी कांग्रेसी मंदिर में आजादी की गाथा लिखी गई थी. उस वक्त चंद्रशेखर आजाद, मंगल पांडेय और भगत सिंह तक यहां रहकर गुप्त रूप से बैठक कर आजादी की रणनीति तैयार करते थे. तब इस मंदिर में पूजा अर्चना और बैठकों का दौर चलता था. आजादी के पूर्व इस कांग्रेसी शिव मंदिर में एक तरफ जहां आस्था का केंद्र था दूसरी तरफ देश गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था, तो स्वतंत्रता सेनानी इसी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ-साथ आजादी की गाथा तैयार करते थे. लेकिन ऐतिहासिक विरासत होने के बावजूद यह मंदिर आज खंडहर होकर बदहाल हो गया है और अतिक्रमण का भी शिकार हो गया है.
देखरेख के अभाव में ध्वस्त होता जा रहा मंदिर परिसर
आजादी के बाद नया देश बना और बदलते दौर में कई सरकारें बदली, लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर की ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया. लिहाजा बनकटवा स्थित कांग्रेसी मंदिर का वजूद अब खतरे में है. एक ओर देश में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, तो वहीं कांग्रेसी मंदिर जो शिव मंदिर भी है इसके जीर्णोद्धार को लेकर न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने और ना ही प्रशासन की ओर से कोई पहल की गई. स्वतंत्रता सेनानियों की शरणस्थली और पहचान दिलाने वाली यह मंदिर ध्वस्त होने से कगार पर आ गया है.
ग्रामीण मंदिर के जीर्णोद्धार की कर रहे मांग
बता दें कि नगर पालिका परिषद बगहा के वार्ड नंबर 21 स्थित बनकटवा आज शहरी क्षेत्र है ऐसे में शहरी विकास योजना के तहत इस ऐतिहासिक धरोहर का साइन बोर्ड तो लगा दिया गया है, लेकिन इसकी मरम्मत को लेकर स्थानीय स्तर पर भी नजरें इनायत नहीं कि गईं हैं. तत्कालीन वार्ड पार्षद उमेश गुप्ता भी मानते हैं कि जिस कांग्रेसी मंदिर में गुप्त बैठक कर आजादी की लड़ाई लड़कर देश स्वतंत्र हुआ जिस मंदिर का इतिहास है वीरों का गाथा है वहीं आज अपने हालात पर आंसू बहा रहा है . ऐसे में जरूरत है देश की आजादी का गाथा लिखने वाले इस ऐतिहासिक धरोहर को समय रहते बचाने और इसका जीर्णोद्धार कराया जाए.
इनपुट- इमरान अजीज