अधिकारियों की सलाह के साथ जनता के फीडबैक पर ज्यादा भरोसा करें CM नीतीश: आरके सिन्हा
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अधिकारियों की सलाह के साथ जनता के फीडबैक पर ज्यादा भरोसा करें CM नीतीश: आरके सिन्हा

आरके सिन्हा ने कहा, 'सरकारी अधिकारियों की सलाह नीतीश कुमार अवश्य लें. लेकिन जनता से जो सीधी बात उनको मिल रही है, उस पर भरोसा थोड़ा ज्यादा करें.'

बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं आरके सिन्हा. (फाइल फोटो)

पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर जनता दरबार का कार्यक्रम शुरू करने का ऐलान किया है. सीएम ने कहा है कि कोरोना काल के बाद वह फिर से जनता दरबार कार्यक्रम शुरू करेंगे. लेकिन अब इसको लेकर विपक्ष सीएम पर निशाना साध रहा है तो वहीं, सत्तपक्ष सीएम की इस पहल को सराह रहा है.

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा ने सीएम नीतीश कुमार की इस पहल का स्वागत किया है. साथ ही उन्हें सुझाव भी दिया है. आरके सिन्हा ने कहा है कि जनता दरबार बहुत ही अच्छा कार्यक्रम है और सीएम की यह पहल स्वागत योग्य है. 

सिन्हा ने कहा, 'जनता से सीधा संवाद जनप्रतिनिधियों का होना चाहिए और सारे जनप्रतिनिधि ये करते भी हैं. लेकिन जब कोई जनप्रतिनिधि मंत्री या मुख्यमंत्री बन जाता है, तो जनता से उसका संपर्क टूट जाता है, क्योंकि बीच में अधिकारी आ जाते हैं. ऐसे स्थिति में जनता दरबार जैसे कार्यक्रम एक मात्र साधन हैं जिससे जनता का सही फीडबैक मंत्री या मुख्यमंत्री को मिल सकता है.'

वहीं, बीजेपी नेता ने जहां इस पहल के लिए नीतीश कुमार को बधाई दी है तो वहीं, दूसरी तरफ उन्हें सुझाव भी दिया है. आरके सिन्हा ने कहा, 'सरकारी अधिकारियों की सलाह नीतीश कुमार अवश्य लें. लेकिन जनता से जो सीधी बात उनको मिल रही है, उस पर भरोसा थोड़ा ज्यादा करें.'

दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री बने, तभी से इस बात के कयास लगाये जा रहे थे कि वो फिर से जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की शुरुआत करेंगे. अब खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने इसका ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा कि कोरोना (Corona) खत्म होने के बाद इसकी शुरुआत कर दी जाएगी.

उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में लोग इसमें आते हैं, इसलिए अभी जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम को शुरू नहीं किया जा रहा है, लेकिन इसे फिर से शुरू किया जायेगा. बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 में जब सत्ता संभाली थी, तो उसके बाद जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका उस समय बहुत व्यापाक असर देखने को मिला था. हर सप्ताह विभाग के हिसाब से जनता दरबार लगता था और मुख्यमंत्री खुद लोगों से आवेदन लेकर उस पर कार्रवाई का आश्वासन देते थे.

सीएम नीतीश कुमार ने जनता के दरबार में आयी शिकायतों के आधार पर आरटीपीएस ( लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम) जैसे लोक प्रिय कानून बनाये थे, जिसके बाद जनता दरबार को बंद कर दिया गया था, लेकिन मुख्यमंत्री के पास शिकायत कोई भी भेज सकता था, लेकिन 2020 के चुनाव में सरकार के खिलाफ लोगों में आक्रोश देखा गया और जब चुनाव के नतीजे आये, तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करनेवाली जदयू को केवल 43 सीटें मिली, जबकि 2015 के चुनाव में पार्टी को 70 सीटें मिली थीं. जनता के अलगाव के असर के रूप में इसे देखा गया.

मुख्यमंत्री चुनाव के नतीजे सामने के बाद ही उन्होंने संकेत दिये थे कि अब वो कुछ ऐसा करेंगे, ताकि फिर से सीधे तौर पर आम लोगों से मिल सकें और उनकी परेशानियों को जान सकेंगे और अपनी बात भी सीधे तौर पर कह सकें. 

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