गुटेरेस ने कहा, 'मैं दुनियाभर के बच्चों को आवाज देने के लिए सत्यार्थी की अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं. यह समय की जरूरत है कि हम एक साथ आएं, सहयोग करें, साझेदारी बनाएं और एसडीजी की दिशा में वैश्विक कार्रवाई को तेज करने में एक-दूसरे का समर्थन करें.'
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Patna: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने को संयुक्त राष्ट्र संघ ने अपना सतत विकास लक्ष्य (SDG) एडवोकेट बनाया है. SDG Advocate के रूप में वो संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nation) के सतत विकास लक्ष्य को सन 2030 तक हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
सत्यार्थी के प्रतिबद्धता की गुटेरेस ने की सराहना
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (UN General Secretary Antonio Guterres) ने कैलाश सत्यार्थी को एसडीजी एडवोकेट नियुक्त करते हुए कहा, 'मैं दुनियाभर के बच्चों को आवाज देने के लिए सत्यार्थी की अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं. यह समय की जरूरत है कि हम एक साथ आएं, सहयोग करें, साझेदारी बनाएं और एसडीजी की दिशा में वैश्विक कार्रवाई को तेज करने में एक-दूसरे का समर्थन करें.'
@UNinIndia ने नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता, कैलाश सत्यार्थी को @UN महसाचिव द्वारा सतत विकास लक्ष्य के पैरोकार के रूप में नियुक्ति पर बधाई दी है. @k_satyarthi एसडीजी एडवोकेट के रूप में, भर में बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे. pic.twitter.com/xqWi1eNByd
— United Nations in India (@UNinIndia) September 18, 2021
'3 चीज का उन्मूलन किए बिना SDG लक्ष्य हासिल करना मुश्किल'
गुटेरेस ने कहा, 'कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) की नियुक्ति उनकी नेतृत्व क्षमता और नैतिक बल की स्वीकारोक्ति है. यह उनके इन विचारों की वैश्विक मान्यता भी है कि बाल श्रम, दासता और ट्रैफिकिंग का उन्मूलन किए बगैर संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) को हासिल नहीं किया जा सकता है.'
वहीं, कैलाश सत्यार्थी ने कहा, 'दुनिया के बच्चों की ओर से मैं इस नियुक्ति को स्वीकार करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं. महामारी से पहले के चार वर्षों में 5 से 11 साल की उम्र के 10,000 अतिरिक्त बच्चे हर दिन बाल मजदूर बन गए. यह वृद्धि भी संयुक्त राष्ट्र SDG के पहले चार वर्षों के दौरान हुई. यह एक अन्यायपूर्ण विकास है जो 2030 एजेंडा की संभावित विफलता की प्रारंभिक चेतावनी देता है. जो बच्चे बाल श्रम में हैं वे स्कूल में नहीं हैं. उनकी स्वास्थ्य की देखभाल, शुद्ध जल और स्वच्छता तक सीमित या कोई पहुंच नहीं है. वे घोर गरीबी के दुश्चक्र में रहते हैं और पीढ़ीगत नस्लीय और सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं.'
कैसे होगा वैश्विक विकास समावेशी और टिकाऊ?
सत्यार्थी आगे कहते हैं, 'वैश्विक विकास तभी समावेशी और टिकाऊ हो सकता है जब वर्तमान के साथ-साथ भविष्य की पीढ़ियां भी स्वतंत्र, सुरक्षित, स्वस्थ और शिक्षित हों.'