Operation Aashiyana: देखिए कैसे पीएम आवास योजना को पलीता लगा रहे हैं सिस्टम के लोग
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Operation Aashiyana: देखिए कैसे पीएम आवास योजना को पलीता लगा रहे हैं सिस्टम के लोग

PM Awas Operation Aashiyana: पटना, सहरसा, कटिहार, मोतीहारी, बेतिया, गोपालगंज, सुपौल, समस्तीपुर हर जगह लाभुकों तक योजना का लाभ पहुंच ही नहीं सका है. बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्का मकान देने में पंचायती राज विभाग की भी अहम जिम्मेदारी है. पंचायत स्तर पर भारी पैमाने पर गड़बड़ी और शिकायतें मिली हैं.

Operation Aashiyana: देखिए कैसे पीएम आवास योजना को पलीता लगा रहे हैं सिस्टम के लोग

पटनाः PM Awas Operation Aashiyana: सरकार की योजनाओं को कहां-कहां और कैसे पलीता लगाया जा रहा है ये देखना है तो चलिए बिहार, जहां कभी नौनिहालों की शिक्षा के साथ मजाक हो रहा है तो कभी गरीबों के निवाले के साथ खेल किया जा रहा है. जी बिहार झारखंड इन धांधलियों के खिलाफ मुहिम चलाकर सच को उजागर कर रहा है और इसी कड़ी में अब नाम जुड़ गया है ऑपरेशन आशियाना का. चैनल ने बिहार के तमाम जिलों में ऑपरेशन आशियाना चलाकर पीएम आवास जैसी योजना की हकीकत को सामने रखा है. 

हर किसी के सिर पर छत की इस महत्वकांक्षी सरकारी योजना को देखिए, कैसे पलीता जा रहा है? आखिर कौन हैं वो लोग जिनकी वजह से आशियाना बना पाना आज भी कई लोगों के लिए सिर्फ एक सपना भर है. 

पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना
पीएम मोदी ने पीएम आवास योजना के लिए कहा कि गांवों में बने सवा पांच लाख घर सिर्फ आंकड़े नहीं हैं. देश में सशक्त होते गरीब की पहचान बन गए हैं. मेरे आने से पहली की सरकार ने कुछ लाख घर ही बनवाए थे मेरी सरकार ढाई करोड़ घर बनाकर दे चुकी है. 2 करोड़ घर गावों में बनाए गए हैं. वहीं केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह 60 साल बनाम 8 साल की बात कह रहे हैं. उन्होंने कहा कि 60 साल में 3 करोड़, 26 लाख इंदिरा आवास बनाए गए, वहीं पिछले 8 साल में ढाई करोड़ से ज्यादा पीएम आवास बनाए जा चुके हैं. बिहार में 38,83,611 पीएम आवास की मंजूरी दी गई, जिनमें से 23,78000 आवास बनाए जा चुके हैं. 

जमीनी हकीकत कुछ और
पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री जो कह रहे हैं वह बेशक ठीक है, लेकिन बिहार की धरती पर इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है. सरकार चाहती है कि हर गरीब के सिर पर छत हो, उनका अपना आशियाना हो, लेकिन ज़ी मीडिया की पड़ताल में यह सामने आया कि गरीबों के सपनों को पलीता लगाया जा रहा है और पलीता लगाने वाले लोग इसी सिस्टम का हिस्सा हैं.

लाभुकों तक नहीं पहुंची योजना
इस मुहिम में सामने आया है कि पटना, सहरसा, कटिहार, मोतीहारी, बेतिया, गोपालगंज, सुपौल, समस्तीपुर हर जगह लाभुकों तक योजना का लाभ पहुंच ही नहीं सका है. बिहार में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को पक्का मकान देने में पंचायती राज विभाग की भी अहम जिम्मेदारी है. पंचायत स्तर पर भारी पैमाने पर गड़बड़ी और शिकायतें मिली हैं. इस बारे में मंत्री ने बताया कि बिहार में 534 प्रखंड है. जिसमें से एक प्रखंड को शहरी निकाय में बदल दिया गया है, अब 533 प्रखंड हैं. उन्होंने आवास योजना में धांधली की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात की है. 

डिप्टी सीएम ने कही कार्रवाई की बात
बेगुसराय में भी इसी तरह की धांधली सामने आई है. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि जिसका जो हक है उसको वह हक मिलना चाहिए. उन्होंने भी कहा कि जहां से भी शिकायत मिलेगी कार्रवाई की जाएगी. वहीं इस मामले में डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद का बयान भी आया. उन्होंने कहा कि बिचौलियों पर कार्रवाई होगी. जो लाभुक शिकायत करेंगे ऊपर कार्रवाई होगी. शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास थोड़ा धीमा है. जमीन नही रहने थोड़ी समस्याएं है. धीरे धीरे दूर किया जाएगा.

क्या-क्या हैं समस्याएं
पड़ताल में सामने आया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के पहली किस्त भेजने के बाद से ही पंचायतों में बिचौलिया सक्रिय हो गया है. लाभुकों को बहलाफुसला कर अवैध रूप से वसूली की जा रही है. साथ ही लाभुकों को डराया भी जा रहा है कि इस किस्त की राशि में से हमको कमीशन या हिस्सा नहीं दोगे तो दूसरी किस्त की राशि नहीं दिलवाई जाएगी. 

बेतिया में भी भ्रष्टाचार
ऐसा ही एक मामला बेतिया में खुला. यहां पीएम आवास योजना में भ्रष्टाचार की शिकार हुईं गीता देवी, सामने आया है कि गीता की 55 हजार की राशि किसी और ने उठाई और गीता देवी के पास लाल नोटिस पहुंच गया है. अब गीता देवी वो नोटिस लेकर दर-दर भटक रही हैं कि खाने को दाना नहीं है, 55 हजार कहां से लाएंगी. 

पैसे लेकर सूची में डाला जा रहा है नाम
आपको यकीन नहीं होगा आवास योजना के समानांतर ही एक नजराना योजना भी चल रही है. ये योजना खुद आवास सहायक की चलाई हुई है जो सरकार की योजना की मिट्टी पलीत कर रहे हैं. सामने आया है कि तीस हजार नजराना देने पर आवास सहायक मुखिया और बीडीओ सूची में नाम दर्ज करते हैं. उनकी इस योजना का लाभ वे लोग उठा रहे हैं जो पहले से संपन्न हैं. इनमें शिक्षक डीलर, पहले से पक्का मकान बनवाए लोग तक आवास योजना के लाभार्थी बन गए हैं. रतन माला पंचायत इस धांधली की गवाह है.  जब मामले का खुलासा हुआ तब डीडीसी अनिल कुमार ने कार्यवाही करने की बात कही है. 

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