Migratory Birds: बेगुसराय में आए मेहमान, प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुई कावर झील
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Migratory Birds: बेगुसराय में आए मेहमान, प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुई कावर झील

Migratory Birds: यहां पर देसी प्रजाति के अलावा अफ्रीका, जर्मनी, नीदरलैंड आदि देशों से पक्षी आते हैं. इनमें राजहंस, सारंग, घोंघिल, लालसर, सिखपर, चकवा, खंजन आदि शामिल हैं. 90 के दशक में यहां साइबेरियाई सारस भी आते थे, जो अब कम संख्या में दिखते हैं. 

Migratory Birds: बेगुसराय में आए मेहमान, प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुई कावर झील

पटनाः Migratory Birds: बेगुसराय में प्रवासी पक्षियों की दस्तक शुरू हो गई है. कावर झील के किनारे राजहंस, सारंग, घोंघिल, लालसर, सिखपर, चकवा, खंजन का जमघट है. साइबेरिया से आए पक्षियों के साथ देसी प्रजाति के पक्षी भी इस झील में कलरव कर रहे हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर उत्तर में स्थित कावर झील में ठंड के मौसम में साइबेरियन पंक्षियों के 59 प्रजाति और 107 देसी प्रजातियों के पक्षी पहुंच चुके हैं.

लाखों पक्षी आते हैं
जानकारी के मुताबिक 66.13 वर्ग किमी में फैले इस मीठे पानी के झील को वर्ष 1989 में बिहार के पक्षी विहार का दर्जा मिला था. बीते कुछ सालों में यहां झील का पानी सूख गया है, ऐसे में पक्षियों की संख्या मे कमी आई है. हालांकि बीते दो सालों से एक बार पक्षियों ने इस झील को गुलजार करना शुरू किया है. यहां आने वाले पक्षियों की सरकारी स्तर पर गणना नहीं हुई है, लेकिन इनकी संख्या लाखों में बताई जाती है.

साइबेरियाई सारस भी आते थे
यहां पर देसी प्रजाति के अलावा अफ्रीका, जर्मनी, नीदरलैंड आदि देशों से पक्षी आते हैं. इनमें राजहंस, सारंग, घोंघिल, लालसर, सिखपर, चकवा, खंजन आदि शामिल हैं. 90 के दशक में यहां साइबेरियाई सारस भी आते थे, जो अब कम संख्या में दिखते हैं. वैशाली के बरैला झील में साइबेरिया और यूरोप से आते हैं पक्षी हाजीपुर. वैशाली जिले के जंदाहा-पातेपुर अंचल के 479 एकड़ में फैले बरैला झील को सलीम अली जुब्बा सहनी पक्षी आश्रयनी के नाम से जाना जाता है.

फरवरी के अंत तक रहते हैं
बताते हैं कि अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही बरैला में साइबेरिया और यूरोप से पक्षी आने लगते हैं. उन पक्षियों को स्थानीय नामों से पहचाना और जाना जाता है. डुम्मर (नेट्टारूफाइन), खेसराज (कूट), घई (शिखी पोचर्ड), पनगुदरी (वैजूलक), लालसर, दिघौच, मैलठा, क्योट, चकवा, चाही, आदि कई प्रजातियों के पक्षी फरवरी के अंत तक इस झील क्षेत्र में प्रवास करते हैं. मार्च-अप्रैल से इनका लौटना शुरू हो जाता है.

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