ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर CM नीतीश ने टिप्पणी करने से किया इंकार, कहा-इस पर मेरी कोई राय नहीं
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ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर CM नीतीश ने टिप्पणी करने से किया इंकार, कहा-इस पर मेरी कोई राय नहीं

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, 'इस पर मेरी कोई राय नहीं है.

 (फाइल फोटो)

Patna: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने यहां मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, 'इस पर मेरी कोई राय नहीं है. आप (मीडियाकर्मी) अपनी टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र हैं. 

'करते हैं सभी की भावनाओं का सम्मान'

इस बीच, इस विवाद पर सत्ताधारी सहयोगी नीतीश कुमार की JDU और BJP का रुख अलग है. JDU के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री जमा खान ने कहा, 'हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे समाज के भाईचारे को ठेस पहुंचे. जद-यू वह पार्टी है जो समाज में सभी जातियों और धर्मो को आगे ले जा रही है. हम सभी की भावनाओं का सम्मान करते हैं. देश के निर्माण में सभी का योगदान है.'

'सच्चाई सामने आनी चाहिए'

भाजपा की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा, 'सच्चाई सामने आनी चाहिए. हम नहीं मानते कि समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ेगा. अगर हमारे पास कोई सांस्कृतिक विरासत है, तो इसे सार्वजनिक डोमेन में आना चाहिए.' यह विवाद वाराणसी में एक मस्जिद के अदालत द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के दौरान सामने आया. टीम ने दावा किया कि उन्होंने मस्जिद के 'वजुखाना' (स्नान टैंक) में एक 'शिवलिंग' की खोज की थी. मुस्लिम समुदाय ने कहा कि यह शिवलिंग नहीं, बल्कि एक फव्वारा है और यह हर मस्जिद में पाया जाता है.

हिंदू पक्ष ने रखी अपनी बात

इस मामले पर हिंदू पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद कोई मस्जिद नहीं है, क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब ने उस जमीन पर किसी भी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय के लिए वक्फ बनाने या जमीन सौंपने का कोई आदेश पारित नहीं किया था.

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर प्रतिवादियों की प्रतिक्रिया में कहा गया है,'इतिहासकारों ने पुष्टि की है कि इस्लामिक शासक औरंगजेब ने 9 अप्रैल, 1669 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें उनके प्रशासन को वाराणसी में भगवान आदि विशेश्वर के मंदिर को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. इस पर कुछ भी नहीं है. रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए कि तत्कालीन शासक या किसी बाद के शासक ने किसी भी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन पर वक्फ बनाने या जमीन को सौंपने के लिए कोई आदेश पारित किया है. औरंगजेब द्वारा जारी फरमान/आदेश की प्रति कोलकाता की एशियाटिक लाइब्रेरी द्वारा सुरक्षित रखी जाए.'

प्रतिक्रिया में तर्क दिया गया कि वक्फ द्वारा समर्पित संपत्ति पर एक मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है, जिसे संपत्ति का मालिक होना चाहिए और किसी भी मुस्लिम शासक या किसी मुस्लिम के आदेश के तहत मंदिर की भूमि पर किए गए निर्माण को मस्जिद नहीं माना जा सकता.

(इनपुट: आईएएनएस) 

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