बिहार में पशुपालकों को उपलब्ध होगा सस्ता चारा, जानिए कैसे
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बिहार में पशुपालकों को उपलब्ध होगा सस्ता चारा, जानिए कैसे

फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management) के तहत नवाचार को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University) के जरिए कृषि विज्ञान केद्रों (Agricultural Science Centres) को दी गई है. पुआल से तैयार पशु चारा (कुट्टी) की कीमत का निर्धारण कर दिया गया है.

बिहार में पशुपालकों को उपलब्ध होगा सस्ता चारा, जानिए कैसे

Patna: 'आम के आम, गुठली के दाम' कहावत को चरितार्थ करते हुए सस्ते दामों पर पशुपालकों को पुआल का चारा उपलब्ध होगा. इससे न केवल फसल अवशेष पुआल (पराली) के प्रबंधन को लेकर परेशान किसानों की परेशानी खत्म होगी, बल्कि किसानों के पुआलों का मोल भी बढ़ेगा.

तैयार चारा तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध होगा
तैयार चारा तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाएगा. दरअसल, Comfed (बिहार स्टेट मिल्क को-आपरेटिव फेडरेशन) ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के प्रसार शिक्षा निदेशक को एक पत्र लिखकर पशु चारा का क्रय निर्धारण करने के संबंध में पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र धान फसल का पुआल पशु चारा दो रुपये प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराएंगें. कॉम्फेड तीन रुपये की दर से इसे दुग्ध समितियों को उपलब्ध कराएगा. सूखा, बांधा हुआ पुआल दो रुपये प्रति किलो की दर से कृषि विज्ञान केंद्र से क्रय करते हुए तीन रुपये प्रति किलो की दर से समिति तक पहुंचाया जाएगा.

कृषि विज्ञान केद्रों को दी गई है जिम्मेदारी 
बता दें कि फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Residue Management) के तहत नवाचार को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी कृषि विश्वविद्यालय (Agricultural University) के जरिए कृषि विज्ञान केद्रों (Agricultural Science Centres) को दी गई है. पुआल से तैयार पशु चारा (कुट्टी) की कीमत का निर्धारण कर दिया गया है. किसानों को सूखा चारा तीन रुपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराया जाएगा. किसानों को गेहूं के भूसा की तुलना में कुट्टी कम कीमत में उपलब्ध होगा. पुआल से तैयार पशु चारा 120 रुपये प्रति 40 किलो पड़ेगा.

पुआल की मांग बढे़गी
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर के सोहाने ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के जरिए कॉम्फेड तीन रुपये की दर से दूग्ध समितियों को उपलब्ध कराएगी. सूखा बांधा हुआ पुआल दो रुपये प्रति किलो की दर से केंद्र से क्रय करते हुए तीन रुपये प्रति किलो समिति तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने कहा कि इससे फसल अवशेष प्रबंधन के किसानों को न केवल सस्ता चारा उपलब्ध होगा, बल्कि पुआल की मांग बढे़गी और रोजगार (Employement) भी बढे़गा.

स्ट्रा बेलर मशीन का होगा उपयोग
सोहाने ने बताया कि विक्रमगंज, हरनौत, आरा, बक्सर सहित कई कृषि विज्ञान केंद्र को इसके लिए लक्ष्य दिया गया है. वैज्ञानिकों ने बताया कि स्ट्रा बेलर मशीन (Straw Baler Machine) के जरिए एक एकड़ भूमि क्षेत्र के फसल अवशेष से करीब 200 ब्लॉक बनेंगे. करीब 20 ब्लॉक को उपचारित कर एक क्विंटल चारा ब्लॉक तैयार होगा. गौरतलब है कि स्ट्रा बेलर मशीन खेतों में बिखरे हुए पुआल को एकत्रित कर ठोस वर्गाकार बना देती है, जिससे इसे आसानी से लाया और ले जाया जा सकता है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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