Mahashivratri Special: भगवान 'कृष्ण' से जुड़ा है इस महादेव मंदिर का रहस्य, जानें मुंगेर के इस अद्भुत शिव धाम के बारे में
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Mahashivratri Special: भगवान 'कृष्ण' से जुड़ा है इस महादेव मंदिर का रहस्य, जानें मुंगेर के इस अद्भुत शिव धाम के बारे में

Mahashivratri Special: मां गंगा की गोद में बसा बिहार का यह जिला मुंगेर, जहां कण-कण में भगवान का बास है. यहां रामायण और महाभारत काल के कई चिन्ह पड़े हुए हैं. यहां प्रकृति मानो खुद आकर बसती हो.

(फाइल फोटो)

मुंगेर : Mahashivratri Special: मां गंगा की गोद में बसा बिहार का यह जिला मुंगेर, जहां कण-कण में भगवान का बास है. यहां रामायण और महाभारत काल के कई चिन्ह पड़े हुए हैं. यहां प्रकृति मानो खुद आकर बसती हो. बता दें कि मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर प्रखंड के बनहरा पंचायत में पहाड़ी पर स्थित है पुराना रंगनाथ महादेव मंदिर. इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आकर जिसने जो मांगा उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है. यहां के महादेव को जाग्रत महादेव माना जाता है.यहां पहाड़ी में 10 किलोमीटर से भी लंबा सुरंग है जो देवघरा पहाड़ी तक जाता है. 

यह वही देवघरा पहाड़ है जहां लोहे की सीढ़ियों से लगभग 1200 फीट की ऊंचाई पर चढ़कर लोग उच्चेश्वरनाथ शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते हैं. यहां के लोगों की आस्था इन दोनों ही शिव मंदिर के प्रति अद्भुत है. रंगनाथ मंदिर में तो महाशिवरात्रि का मेला भी लगता है. आपको बता दें कि इस बार यहां महाशिवरात्रि के अवसर पर 72 घंटे का श्री श्री 108 लघु रुद्र यज्ञ हो रहा है. 

यहां के लोगों के लिए 150 फीट ऊंची पहाड़ी श्रृंखला पर 16वीं शताब्दी में स्थापित रंगनाथ महादेव मंदिर आस्था का केंद्र है. यहां महादेव का शिवलिंग स्वतः प्रगट हुआ अतः इसे स्वयंभू भी कहा जाता है. आपको बता दें कि महादेव का यह शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा केदार की आकृति में है. इस मंदिर के पास पहाड़ी के नीचे काफी सारी व्यवस्थाएं हैं. यहां एक चन्द्रकूप भी है जिसका जल मंदाकिनी के समान मीठा है.  यह कूप मात्र 8 फीट गहरा है लेकिन वह कभी सूखता नहीं हैं. 

एक कथा की मानें तो यहां पास के गांव में रंगनाथ नाम का एक आदमी रहता था और संतान प्राप्ति की इच्छा से वह और उसकी पत्नी रोज बाबा की पूजा करते थे. लेकिन उन्हें संतान नहीं हुआ तो गुस्से में रंगनाथ ने कुल्हाड़ी से बाबा के शिवलिंग पर वार कर दिया. इसके बाद उसे बेटा हुआ तो उसे अपने किए का घोर प्रायश्चित करना पड़ा. इसी वजह से इनका नाम रंगनाथ महादेव पड़ गया. इसके साथ ही कहा जाता है कि रंगनाथ महादेव के चरण के नीचे बीचोंबीच एक लंबी गुफा है. जो कई किलोमीटर लंबी है. 

वहीं दूसरी कथा की मानें तो यहां भगवान श्रीकृष्ण अपनी राधा के साथ होली खेल रहे थे. यहां उसी वक्त महादेव का आगमन हुआ. श्रीकृष्ण ने तब महादेव को रंगनाथ कहकर संबोधित किया. तब से ही इस मंदिर  को रंगनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है.

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