Atul Sucide: खुदकुशी या सिस्टम की हार? अतुल सुभाष की कहानी सोचने पर मजबूर करती है..
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Atul Sucide: खुदकुशी या सिस्टम की हार? अतुल सुभाष की कहानी सोचने पर मजबूर करती है..

Atul Sucide Case: अतुल सुभाष, 34 साल के इंजीनियर.. जिनकी जिंदगी में आगे बहुत कुछ होना बाकी था. लेकिन उनकी खुदकुशी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया.

Atul Sucide: खुदकुशी या सिस्टम की हार? अतुल सुभाष की कहानी सोचने पर मजबूर करती है..

Atul Sucide Case: अतुल सुभाष, 34 साल के इंजीनियर.. जिनकी जिंदगी में आगे बहुत कुछ होना बाकी था. लेकिन उनकी खुदकुशी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया. मौत से कुछ घंटों पहले उनका रिकॉर्ड किया 90 मिनट का वीडियो और 23 पन्नों का सुसाइड नोट एक ऐसे समाज और सिस्टम की सच्चाई को उजागर करता है, जो हर बार कमजोर पड़ने वाले को हारने पर मजबूर कर देता है.

दहेज.. एक बेटे की जान लेने वाला कलंक

दहेज प्रथा के कारण अब तक कई बेटियां अपनी जान गंवा चुकी हैं, लेकिन इस कुप्रथा के शिकार पुरुषों की कहानियां अक्सर अनसुनी रह जाती हैं. अतुल के मामले में उनकी पत्नी और ससुराल पर दहेज के लिए दबाव बनाने और झूठे मुकदमे करने के आरोप लगे हैं. 2019 में हुई शादी के बाद सबकुछ ठीक लग रहा था. 2021 में उनकी पत्नी बेटे को लेकर मायके चली गई और इसके बाद अतुल पर 9 केस दर्ज किए गए, जिनमें दहेज प्रताड़ना और 498A जैसे गंभीर आरोप शामिल थे.

सुरक्षा का कानून या फंसाने का हथियार?

498A, जो महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बना है, अतुल जैसे पुरुषों के लिए अभिशाप साबित हो सकता है. अतुल ने अपने वीडियो और सुसाइड नोट में बताया कि इन झूठे केसों और कानूनी लड़ाई ने उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया. ढाई साल में 120 से ज्यादा कोर्ट की तारीखें, 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर जाना, और लाखों रुपये का खर्च उनके लिए असहनीय हो गया.

सिस्टम और समाज पर गंभीर सवाल

अतुल ने सुसाइड नोट में अपनी पत्नी और ससुरालवालों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया. उनकी पत्नी के कथित शब्द.. "अरे तुम अभी तक सुसाइड नहीं किए..." उनके दर्द को और गहरा करते हैं. नोट में लिखा गया है कि उनकी पत्नी ने कहा कि पति के मरने के बाद सब कुछ पत्नी का होता है. अतुल ने न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर उनके प्रताड़कों को सजा नहीं मिलती, तो उनकी अस्थियों को गटर में बहा दिया जाए. यह बयान न्याय व्यवस्था की असंवेदनशीलता पर गहरा सवाल खड़ा करता है.

NCRB के आंकड़े

2021 में भारत में 1,64,033 आत्महत्याओं में 81,063 विवाहित पुरुष थे. इनमें से 33.2% ने पारिवारिक समस्याओं के कारण और 4.8% ने विवाह संबंधी समस्याओं के चलते अपनी जान दी. अतुल की मौत इसी दर्दनाक आँकड़े का हिस्सा बन गई.

क्या बदलाव संभव है?

दहेज प्रताड़ना से महिलाओं की सुरक्षा के लिए जिस तत्परता से कदम उठाए जाते हैं, वैसा ही समर्थन पुरुषों के लिए भी होना चाहिए. 498A जैसे कानूनों में संतुलन लाने और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस सुधार की जरूरत है.

अतुल का संदेश.. हिम्मत न हारें

अतुल का मामला यह बताता है कि सिस्टम और समाज के बीच फंसे कई लोग अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. यह वक्त है, जब ऐसे लोगों की आवाज सुनी जाए. हिम्मत न हारें, क्योंकि हर समस्या का समाधान संभव है. इस हैरान करने वाली घटना के बाद कई ऐसे सवाल हैं जो सोचने पर मजबूर करते हैं.. क्या 498A जैसे कानूनों में बदलाव की जरूरत है? क्या पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके अधिकारों की चर्चा समाज में पर्याप्त रूप से हो रही है? ऐसे मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को तेज और निष्पक्ष बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? अतुल की कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज और सिस्टम में सुधार के लिए अब और देर नहीं होनी चाहिए.

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