उम्मीदवारों के साथ Exit Polls की भी अग्निपरीक्षा, जानें हर बार क्यों उठते आए हैं सवाल
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उम्मीदवारों के साथ Exit Polls की भी अग्निपरीक्षा, जानें हर बार क्यों उठते आए हैं सवाल

आखिरी चरण की वोटिंग की शाम से ही सभी न्यूज चैनल्स एग्जिट पोल्स दिखाने लगते हैं और ऐसा देखा भी जाता है कि असली नतीजे भी लगभग ऐसे ही होते हैं. हालांकि कुछ राज्यों में बिल्कुल उलट हुआ है. 

उम्मीदवारों के साथ Exit Polls की भी अग्निपरीक्षा, जानें हर बार क्यों उठते आए हैं सवाल

नई दिल्ली: आज की शाम तमाम राजनीतिक दलों के लिए के काफी भारी साबित हो रही है. 10 मार्च को 5 राज्यों के नतीजे घोषित होने हैं. 7 मार्च को उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण के मतदान हुए और तभी से कयास लगाए जाने कि किस राज्य में किसकी सरकार बनने जा रही है. दरअसल इन कयासों को सबसे ज्यादा हवा एग्जिट पोल ने दी है. 

  1. एग्जिट पोल के भरोसे खुश होना ठीक?
  2. वोटिंग के बाद ही क्यों दिखाते हैं एग्जिट पोल?
  3. जानें, कैसे तैयार होते हैं एग्जिट पोल्स?

सटीक होते हैं न्यूज चैनल्स? 

आपने गौर किया होगा कि आखिरी चरण की वोटिंग की शाम से ही सभी न्यूज चैनल्स एग्जिट पोल्स दिखाने लगते हैं और ऐसा देखा भी जाता है कि असली नतीजे भी लगभग ऐसे ही होते हैं. हालांकि कुछ राज्यों में बिल्कुल उलट हुआ है. जैसा कि साल 2021 में पश्चिम बंगाल में भी देखा गया कि एग्जिट पोल पूरी तरह फेल हो गए. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये एग्जिट पोल बनते कैसे हैं और ये इतने सटीक कैसे रहते हैं.   

10 मार्च को आएंगे नतीजे

गौरतलब है कि फरवरी और मार्च महीने में गोवा, पंजाब, मणिपुर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विधान सभा चुनाव हुए हैं. इनमें सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है और वहां 7 चरणों में वोटिंग हुई है. 10 फरवरी से शुरू हुई ये वोटिंग 07 मार्च को खत्म हुई. इन सभी पांचों राज्यों में 10 मार्च को सुबह वोटों की गिनती होगी. आपको बता दें कि एग्जिट पोल बनाने वाली कंपनी भी हमेशा यही कहती है कि उनके एग्जिट पोल बिल्कुल ठीक नहीं होते बल्कि थोड़े बहुत आगे-पीछे हो सकते हैं.  

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कैसे तैयार होते हैं एग्जिट पोल्स?

एग्जिट पोल्स बनाने के लिए एक बहुत आसान तरीका है. वोट डालने के बाद पोलिंग बूथ के बाहर आए लोगों से बातचीत या उनके रुझानों पर आधारित हैं. इनके जरिए अनुमान लगाया जाता है कि नतीजों का झुकाव किस ओर है. इसमें बड़े पैमाने पर वोटरों से बात की जाती है. इसे कंडक्ट करने का काम आजकल कई ऑर्गनाइजेशन कर रहे हैं.

सटीक होते हैं एग्जिट पोल?

ऐसा कई बार देखा गया है कि एग्जिट पोल्स ने जो भी अनुमान लगाए, वो गलत साबित हुए. भारत में एग्जिट पोल का इतिहास बहुत सटीक नहीं रहा है. कई बार एग्जिट पोल नतीजों के बिल्कुल विपरीत रहे हैं.

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ओपिनियन पोल्स और एग्जिट पोल्स के बीच अंतर क्या है?

कई लोग इस चीज में कन्फ्यूज रहते हैं कि ओपनियन पोल और एग्जिट पोल एक ही होते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. आपको बता दें कि वोटिंग से बहुत पहले वोटरों के व्यवहार और वो क्या कर सकते हैं, ये जानने के लिए होता है. इससे ये बताया जाता है कि इस बार वोटर किस ओर जाने का मन बना रहा है. वहीं एग्जिट पोल्स हमेशा वोटिंग के बाद होता है.

फेल क्यों हो जाते हैं एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल लोगों से बात करके ही तैयार किए जाते हैं और कई बार ऐसा होता है कि सर्वे करने वाली कंपनी बहुत कम लोगों से बात करके बहुत ज्यादा लोगों के विचारों को प्रसारित कर देती है. ऐसे में हकीकत कहीं कोसों दूर होती है और जब नतीजे खुलते हैं तो एग्जिट पोल वाली कंपनी को इसका सामना करना पड़ता है. कई देशों में इन पर रोक लगाने की मांग होती रही है. भारत में साल 2014 के लोक सभा चुनावों में चुनाव आयोग ने इस पर रोक लगा दी थी. 

वोटिंग के बाद ही क्यों दिखाते हैं एग्जिट पोल?

जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 ए के तहत वोटिंग के दौरान ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए जो वोटरों का मन बदलने का काम करे. नियम कहता है कि आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के डेढ़ घंटे तक एग्जिट पोल्स का प्रसारण नहीं किया जा सकता है.

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