Jhansi के आवारा डॉगी को US में मिला नया घर, ऐसे रंग लाई मुहिम
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Jhansi के आवारा डॉगी को US में मिला नया घर, ऐसे रंग लाई मुहिम

जानवरों के प्रति ऐसे प्यार (Animal Love) की मिसाल कम ही मिलती हैं. अब झांसी (Jhansi) के एक आवारा डॉगी को अमेरिका में अपना नया घर मिल गया है जहां उसकी सेहत का बेहतर तरीके से ख्याल रखा जाएगा.

सांकेतिक फोटो

नई दिल्ली: छोटे शहरों में रहने वाले लोग अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के चलते बड़े शहरों और विदेश में इलाज के लिए जाते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के झांसी से एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां आवारा कुत्ते को इलाज के लिए अमेरिका भेजा गया है.

  1. आंखों से देख नहीं सकता डॉगी
  2. इलाज के लिए US भेजा गया
  3. एक महिला ने की डॉगी की मदद

देख नहीं सकता डॉगी

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस फीमेल डॉगी की उम्र 9 महीने है और यह देख नहीं सकता. करीब 6 महीने पहले पशु प्रेमी मिनी खरे को इस डॉगी के सड़क पर आवारा मिलने की सूचना हासिल हुई थी. तब इससे शरीर पर जलने के जख्म भी थे और इसकी हालत काफी खराब थी. लेकिन आखिरकार मिनी की मुहिम रंग लाई है और अब इस डॉगी का इलाज अमेरिका में किया जाएगा.

मिनी खरे, 'जीव आश्रय' नाम से एक एनजीओ चलाती हैं और उन्हें फरवरी में पहली बार इस डॉगी के बारे में जानकारी मिली थी, उस दौरान ग्वालियर रोड पर पर काफी खराब हालत में यह डॉगी मिला था और इसके साथ मारपीट की गई थी. 

शैरी रखा आवारा कुत्ते का नाम

इसके बाद मिनी अपनी टीम के साथ वहां पहुंचीं और डॉगी का रेस्क्यू किया गया. फिर इसे एक वेटरनरी डॉक्टर के पास ले जाया गया. मिनी ने इस डॉगी का नाम शैरी रखा है. लेकिन इलाज के बाद इस कुत्ते की चिंता मिनी को सता रही थी और उन्हें इसके लिए एक स्थाई ठिकाना खोजना था, जहां इसका अच्छे से ख्याल रखा जा सके.

इसी मकसद से मिनी ने सोशल मीडिया पर एक कैंपेन शुरू की ताकि कोई इस डॉगी को गोद लेने के लिए आगे आए. इसके बाद दिल्ली की एक डॉक्टर प्रेमलता चौधरी ने मिनी से संपर्क किया और शैरी के बारे में अपनी दोस्त हेलेन ब्राउन को भी बताया जो अमेरिकी में आवारा जानवरों के लिए एनजीओ चलाती हैं.

इसके बाद शैरी को पहले दिल्ली लाया गया फिर आगे के इलाज के लिए उसे अमेरिका के पेनसिल्वेनिया भेजा गया, जहां सोमवार को शैरी को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी हुई. अब झांसी के शैरी का नया घर अमेरिका बन चुका है. आवारा जानवरों के लिए एनजीओ चलाने वाली मिनी ने अब तक 300 से ज्यादा जानवरों की जान बचाने का काम किया है. 

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