Mental Health: बॉस में होनी चाहिए ये 6 क्वालिटी, वरना हर वक्त स्ट्रेस में रहेंगे उसके Employees
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Mental Health: बॉस में होनी चाहिए ये 6 क्वालिटी, वरना हर वक्त स्ट्रेस में रहेंगे उसके Employees

Mental Health Tips: जिस बॉस के अंदर ये 6 खासियतें होती हैं, उसकी टीम में तनाव कभी नहीं बढ़ पाता. साथ ही आउटपुट भी बेहतर मिलता है.

सांकेतिक तस्वीर

आजकल स्ट्रेस हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन गया है और इसमें सबसे बड़ा हिस्सा वर्क स्ट्रेस का होता है. जिसके लिए आपका बॉस या मैनेजर भी जिम्मेदार हो सकता है. ये वर्किंग स्ट्रेस जब जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तो Employees बेहतर परफॉर्म करने की जगह सही आउटपुट भी नहीं दे पाते. लेकिन, बॉस अपने अंदर कुछ क्वालिटी को विकसित कर सकते हैं, जिससे उनके Employees भी स्ट्रेस फ्री रह सकेंगे और उनकी परफॉर्मेंस भी बेहतर आएगी.

Qualities of Supportive Boss: बॉस में होनी चाहिए ये क्वालिटी

अगर Employees की परफॉर्मेंस बेहतर बनाना चाहते हैं, तो बॉस को सपोर्टिव होना चाहिए. जिसके लिए वह इन खासियतों को अपने अंदर शामिल कर सकते हैं. लेकिन, ध्यान रहे कि दिक्कतों को दूर करने के लिए सबसे पहले दिक्कतों को जानना जरूरी है. जिसके लिए टीम से रेगुलर बातचीत करते रहना चाहिए.

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1. ओवरलोड कम करना
अक्सर Employees पर काम का लोड बहुत ज्यादा रहता है. जिसके कारण वह टास्क को जल्दी-जल्दी निपटाने में लगे रहते हैं. ऐसे में क्वालिटी वर्क नहीं मिल पाता और Employees हमेशा काम पूरा करने के तनाव में रहते हैं. इसलिए, बॉस को अपने Employees का ओवरलोड कम करना चाहिए. अगर उन्हें किसी नयी जिम्मेदारी को दिया जा रहा है, तो पहले से मौजूद जिम्मेदारियों को मैनेज करना चाहिए.

2. प्राथमिकता बताना
Employees पर कई काम होते हैं और अगर बॉस सभी कामों को प्राथमिक बताएंगे, तो ऐसे में Employees के कंफ्यूज होने की संभावना है. बल्कि, एक सपोर्टिव बॉस को अपने Employees को दिए गए काम व जिम्मेदारियों की प्राथमिकता बतानी चाहिए. ताकि उसके जूनियर्स जरूरी टास्क पर पहले काम करें और उन पर कम से कम तनाव आए.

3. Employees के टाइम और वर्क बैलेंस की इज्जत करना
जो बॉस अपने Employees के टाइम और वर्क बैलेंस की इज्जत करता है, उसकी टीम में स्ट्रेस बिल्कुल कम होता है. क्योंकि, Working Hours सेट ना होने या Working Hours से बाहर मीटिंग या काम करने से Employees के अंदर काम को लेकर दिलचस्पी कम होती रहती है. इससे टास्क के बेमन से पूरा होने का काफी खतरा रहता है.

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4. खुद की वर्क लाइफ बैलेंस रखना
कॉर्पोरेट जगत में बॉस की मेंटल हेल्थ ही Employees की मेंटल हेल्थ बनती है. अगर मैनेजर की वर्क लाइफ बैलेंस नहीं है, तो उसकी टीम की भी वर्क लाइफ कभी बैलेंस नहीं रहेगी. जिससे Employees में तनाव और बर्नआउट का खतरा बढ़ेगा. एक सपोर्टिव बॉस हमेशा कोशिश करता है कि उसकी टीम को जरूरी कामों के लिए ऑफ मिल सके और रोजाना काम करने के घंटे भी निश्चित रहें, जिससे बेवजह का प्रेशर ना बढ़े. वर्क लाइफ बैलेंस Employees की मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है.

5. Employees को क्रेडिट और रिवार्ड देना
एक बेहतर बॉस अपने Employees को अच्छी परफॉर्मेंस के लिए क्रेडिट और रिवार्ड दोनों देता है. जिससे टीम में बेहतर परफॉर्म करने की होड़ रहती है. टीम के अंदर कम्पिटीशन बढ़ाने का यह हेल्दी तरीका है. अगर बेहतर परफॉर्म करने वाले Employee को क्रेडिट या रिवार्ड ना दिया जाए, तो वह भविष्य में अपनी परफॉर्मेंस पर ध्यान नहीं देता. वहीं, किसी जूनियर की गलती को सार्वजनिक रूप से नकारात्मक तरीके से नहीं बताना चाहिए.

6. खुद को बेहतर बनाने की कोशिश
हर व्यक्ति में बेहतरी की गुंजाइश होती है, चाहे वो बॉस ही क्यों ना हो. एक सपोर्टिव बॉस यह अच्छी तरह समझता है और अपने लिए आलोचनाओं को स्वस्थ तरीके से लेता है. क्योंकि, अगर मैनेजर टीम में मौजूद अविश्वास, कमी या तनाव को कम करना चाहता है, तो उसे पहले मानना होगा कि उसकी टीम या मैनेजिंग स्किल में कुछ कमी है.

यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. यह सिर्फ शिक्षित करने के उद्देश्य से दी जा रही है.

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