चुकंदर (Beetroot) में पाया जाने वाला एक तत्व अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer's Disease) रोकने में मदद कर सकता है. इसी तत्व की वजह से चुकंदर का रंग लाल होता है.
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नई दिल्ली: खाने की टेबल पर जैसे ही चुंकदर का नाम आता है ज्यादातर लोग अपनी नाक सिकोड़ कर बैठ जाता है. क्योंकि लाल रंग के साथ स्वाद न लगने वाली सब्जी खाना शायद ही किसी को पसंद होता है लेकिनर यही सब्जी आपको सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाती है वो भी तब जब आपकी उम्र ढलने लगती है.
जी हां चुकंदर (Beetroot) में पाया जाने वाला एक तत्व अल्जाइमर जैसे अनचाही बीमारी (Alzheimer's Disease) को रोकने में मदद कर सकता है. इसी तत्व की वजह से चुकंदर का रंग लाल होता है. इससे अल्जाइमर बीमारी की दवा विकसित की जा सकती है.
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एक रिसर्च में पता चला है कि चुकंदर (Beetroot) के रस में बीटानिन (Betanin) तत्व पाया जाता है, जो दिमाग में मिसफोल्डेड प्रोटीन (Misfolded Protein) के संचय को धीमा कर सकता है. मिसफोल्डेड प्रोटीन का जमा होना अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer's Disease) का कारक होता है
अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer's Disease) के मरीजों की याददाश्त कमजोर हो जाती है, ऐसा अक्सर बुढ़ापे में होता है, इसलिए जरूरी है कि चुकंदर (Beetroot) का सेवन रोजाना किया जाए जिससे बॉडी को बीटानिन (Betanin) मिलता रहे.
साउथ फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी (University of South Florida) के ली-जून मिंग (Li-June Ming) के मुताबिक, 'आंकड़ों से पता चलता है कि बीटानिन दिमाग में कुछ रासायनिक क्रियाओं के लिए एक अवरोधक का काम करता है, जो अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer's Disease) के होने में शामिल होते हैं.'
बीटा-एमालॉएड (β-Amyloid) एक चिपचिपा प्रोटीन का टुकड़ा या पेप्टाइड होता है, जो कि दिमाग में जमा होता है और अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer's Disease) पैदा करता है. यह दिमाग की कोशिकाओं के संचार में बाधा डालता है. इन दिमाग की कोशिकाओं को न्यूरॉन्स कहते हैं. सबसे ज्यादा नुकसान तब होता है, जब बीटा-एमालॉएड खुद को धातुओं जैसे लोहा या तांबे से जोड़ लेता है. इन धातुओं से बीटा-एमालॉएड पेप्टाइड एक समूह में बंध जाते हैं, जिससे सूजन व ऑक्सीकरण बढ़ सकता है.