Explainer: क्या कोई राज्य सरकार विदेश सचिव नियुक्त कर सकती है, बाहरियों को दे सकती है शरण? क्या कहता है संविधान?
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Explainer: क्या कोई राज्य सरकार विदेश सचिव नियुक्त कर सकती है, बाहरियों को दे सकती है शरण? क्या कहता है संविधान?

Kerala Government Conflict: केरल में माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार ने एक आईएएस ऑफिसर के वासुकी की नियुक्ति को लेकर मचे हंगामे के बाद सफाई दी है. केरल की मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने विवाद पर एक बयान जारी कर मीडिया पर दोष मढ़ा. इस बीच बांग्लादेशियों को पश्चिम बंगाल में शरण देने की बात कहकर सीएम ममता बनर्जी ने भी विदेशी मामले में दखल का मुद्दा छेड़ दिया.

Explainer: क्या कोई राज्य सरकार विदेश सचिव नियुक्त कर सकती है, बाहरियों को दे सकती है शरण? क्या कहता है संविधान?

Foreign Secretary Appointment: विदेश सचिव की नियुक्ति की खबर के तूल पकड़ने के बाद केरल की पिनरई विजयन सरकार भाजपा और कांग्रेस दोनों ओर से घिरती नजर आई. हंगामा बढ़ने पर सीपीएम नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार ने रिपोर्ट को ही झूठा करार दिया. केरल की मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने एक बयान जारी कर कहा कि केरल में विदेश सचिव जैसा कोई पद नहीं है. उन्होंने कहा कि केरल सरकार में बैठे लोग इस बेसिक फैक्ट से अनजान नहीं हैं कि विदेशी मामले केंद्र सरकार का विषय हैं.

केरल सरकार ने 15 जुलाई को सौंपा था अतिरिक्त प्रभार

केरल सरकार ने 15 जुलाई को सीनियर आईएएस ऑफिसर के वासुकी को विदेशी सहयोग से संबंधित मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा था. केरल भाजपा के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने विजयन सरकार के कदम को संविधान की संघ सूची का उल्लंघन बताया था. उन्होंने लिखा कि एलडीएफ सरकार के पास विदेशी मामलों में कोई अधिकार नहीं है. सरकार का यह असंवैधानिक कदम एक खतरनाक उदाहरण कायम करता है. उन्होंने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री पिनरई विजयन केरल को एक अलग देश के रूप में स्थापित करना चाहते हैं? 

सुरेंद्रन के बाद पूनावाला और शशि थरूर ने भी उठाया मुद्दा

इसके बाद, भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने यह मुद्दा उठाते हुए पूछा कि केंद्र सरकार के अधिकारों में हस्तक्षेप करने वाली केरल सरकार क्या अब रक्षा मंत्री की नियुक्ति करेगी, क्या प्रधानमंत्री भी बना देगी और क्या ये जम्मू कश्मीर में फिर से अनुच्छेद- 370 लागू कर देगी? इसके बाद केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी  केरल सरकार द्वारा राज्य में विदेश सचिव नियुक्त करने के कदम को काफी असामान्य करार दिया. इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया और केरल की मुख्य सचिव डॉ वी वेणु ने आगे आकर सफाई दी.

केरल सरकार ने कुछ समय पहले बनाया बाहरी सहयोग प्रभाग

डॉ वी वेणु ने कहा कि राज्य सरकार ने कुछ साल पहले वाणिज्यिक, औद्योगिक और सांस्कृतिक सहयोग के लिए विदेशी एजेंसियों, बहुपक्षीय संस्थानों और दूतावासों के साथ बातचीत के कॉर्डिनेशन के लिए बाहरी सहयोग का एक प्रभाग बनाया था. हाल ही में राज्य सेवा से केंद्रीय नियुक्ति पर गए प्रधान सचिव सुमन बिल्ला इसके प्रभारी थे. उनके जाने के बाद के वासुकी को अतिरिक्त प्रभार दिया गया. सरकारी आदेश में साफ तौर से बताया गया है कि उन्हें क्या-क्या करना है. 

ममता बनर्जी का बयान भी विदेशी मामले में राज्य की दखल

इस बीच, पड़ोसी देश बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध प्रदर्शन में जारी हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने  भी विदेश मामले को छेड़ने वाला बयान दे दिया. शहीद दिवस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर हिंसा प्रभावित बांग्लादेशी हमारा दरवाजा खटखटाएंगे तो हम उन्हें बंगाल में शरण देंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी राज्य सरकार के पास विदेशियों को शरण देने का अधिकार है? क्योंकि संविधान में विदेशी मामले राज्य के अधिकार से बाहर केंद्र के पास हैं. वहीं, 1951 के यूएन कन्वेन्शन पर भारत ने दस्तखत ही नहीं किए हैं. 

क्या कोई राज्य सरकार विदेश सचिव नियुक्त कर सकती है?

राजनीतिक आरोप, प्रत्यारोप और सफाई के सामने आने के बाद यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. लोगों की दिलचस्पी संविधान की संघी सूची, केंद्र और राज्य की शक्ति, विदेश सचिव की नियुक्ति के अधिकार वगैरह मामले में बढ़ गई है. सोशल मीडिया पर यह ट्रेंडिंग टॉपिक बन चुका है. क्या कोई राज्य सरकार विदेश सचिव नियुक्त कर सकती है? इस सवाल का जवाब है- नहीं. आइए, जानते हैं कि हमारा संविधान इस बारे में क्या कहता है?

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विदेश सचिव पद क्या है और उनका काम क्या होता है?

सबसे पहले जानते हैं कि विदेश सचिव पद क्या है और उनका काम क्या होता है? दरअसल, विदेश सचिव भारत का सबसे बड़ा राजनयिक और विदेश मंत्रालय का प्रशासनिक प्रमुख होता है. अपने तय प्रशासनिक कामों के अलावा वह विदेश मंत्रालय के भीतर नीति और प्रशासन के सभी मामलों पर विदेश मंत्री का वह प्रमुख सलाहकार होता है. यह पद भारत सरकार के सचिव स्तर के एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी  के पास होता है. 

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मंत्रिमंडलीय समिति करती है विदेश सचिव की नियुक्ति

भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची के बारे में जिक्र किया गया है. यह राष्ट्रीय महत्व के विषयों की सूची है. इस सूची में शामिल विषयों पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है. संघ सूची को सूची-I के नाम से भी चर्चित इस सूची में एक सौ विषय शामिल हैं. विदेशी मामले भी इसी में आते हैं. इसलिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, केंद्रीय मंत्रिमंडल और विदेश मंत्री के प्रति उत्तरदायी विदेश सचिव की नियुक्ति मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति करती है. विदेश सचिव का कार्यकाल दो साल का होता है. हालांकि, इसे बढ़ाया जा सकता है. 

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