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B'day: शम्मी कपूर और अमिताभ बच्चन को सुपरस्टार बनाने में था Dev Anand का हाथ?

देवानंद (Dev Anand) हमेशा नए-नए चेहरों को फिल्मी दुनिया में ब्रेक देने के लिए जाने जाते थे. जब तक जीवित रहे किसी न किसी मूवी में काम करते ही रहे.

'जंजीर' के लिए अमिताभ बच्चन नहीं थे पहली पसंद

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'जंजीर' के लिए अमिताभ बच्चन नहीं थे पहली पसंद

अगर आपसे पूछा जाए कि अमिताभ बच्चन ने किसी मूवी के जरिए फिल्मी दुनिया में अपनी पहचान बनाई तो सबका एक ही जवाब होगा, वो थी ‘जंजीर’. अमिताभ बच्चन के करियर में इस फिल्म ने सबसे अहम भूमिका अदा की. 'जंजीर' से पहले के चार सालों में अमिताभ ने तमाम फिल्में की थीं, लेकिन कोई भी ऐसी नहीं थी, जिसके चलते राह चलते लोग उन्हें पहचान भी सकें, लेकिन इस फिल्म नें अमिताभ को बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन बना दिया. ये फिल्म अमिताभ की जिंदगी का सबसे बड़ा टर्निंग प्वॉइंट थी. दरअसल, प्रकाश मेहरा ने इस मूवी में हीरो विजय का किरदार देवानंद को ही मन में सोचकर लिखवाया था. वो सबसे पहले इस फिल्म का आइडिया लेकर देव साहब के ही पास गए थे. उन्हें ये स्क्रिप्ट काफी पसंद भी आई थी. फिर उन्होंने बाकी कलाकारों के बारे में पूछा और ये भी पूछा कि गाने किस-किस सिचुएशन में फिल्माए जाएंगे और रोमांटिक गाने कितने हैं, क्या वो कम्पोज हो चुके हैं या अभी होने हैं?

देवानंद ने इसलिए 'जंजीर' करने से किया था इनकार

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देवानंद ने इसलिए 'जंजीर' करने से किया था इनकार

लेकिन, देव साहब प्रकाश मेहरा का जवाब सुनकर वाकई में हैरान रह गए. प्रकाश मेहरा ने बताया कि इस फिल्म में ना तो कोई रोमांटिक गाना है और ना ही हीरो के हिस्से में कोई नाच गाना तो उन्हें बहुत ही अजीब लगा. दरअसल, देवानंद की इमेज एक रोमांटिक हीरो की थी. बिना रोमांटिक गानों के वो उस दौर में अपनी फिल्म की कल्पना भी नहीं कर सकते थे और अपनी फिल्मों में देवानंद का इतना ज्यादा दखल होता था कि लोग उन्हें उनकी फिल्मों का घोस्ट डायरेक्टर ही मानते थे. चूंकि फिल्म की कहानी उन्हें पसंद आई थी, इसलिए उन्होंने प्रकाश मेहरा से कहा भी कि यार एक रोमांटिक गाना तो डाल दो, लेकिन मेहरा राजी नहीं हुए. वो तो देव साहब का एक नया रूप पब्लिक के सामने लाना चाहते थे, लेकिन उसके लिए देव साहब कतई तैयार नहीं थे. मेहरा ने मना किया तो देव साहब को लगा कि इससे उनकी रोमांटिक हीरो की इमेज खराब होगी, उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया.

राज कुमार ने भी 'जंजीर' करने से कर दिया था इनकार

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राज कुमार ने भी 'जंजीर' करने से कर दिया था इनकार

हालांकि, मेहरा साहब उसके बाद राज कुमार के पास भी गए, राज कुमार ने ये कहकर मना कर दिया कि स्टोरी तो पसंद आई, लेकिन आपकी शक्ल नहीं. इधर प्राण को मेहरा पहले ही साइन कर चुके थे, प्राण हर हाल में उस मूवी को करना चाहते थे, क्योंकि उन्हें अपना पॉजिटिव किरदार काफी पसंद आ गया था. ऐसे में उन्होंने ही नाम दिया अमिताभ बच्चन का और ये मूवी फिर चली गई अमिताभ बच्चन के खाते में और फिर ‘जंजीर’ ने जो इतिहास रचा वो शायद देश के बच्चे बच्चे को पता है. ये अलग बात है कि ‘जंजीर’ का रीमेक जिसे रामचरण तेजा और प्रियंका चोपड़ा को लेकर बनाया गया था, वो बिलकुल नहीं चला.

देव साहब की वजह से ही बदली थी शम्मी कपूर की किस्मत

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देव साहब की वजह से ही बदली थी शम्मी कपूर की किस्मत

बिलकुल इसी तरह का वाकया हुआ शम्मी कपूर के साथ भी. शम्मी कपूर के करियर ने उड़ान ना भरी होती, अगर उन्हें फिल्म ‘तुम सा नहीं देखा’ ना मिली होती. उन्हें वो फिल्म भी ना मिलती अगर देव आनंद ने उस फिल्म के लिए ऐन वक्त पर मना नहीं किया होता. फिल्मस्तान स्टूडियो की इस फिल्म के लिए हीरोइन अमीता यानी कमर सुल्ताना का नाम पहले से तय था, दरअसल वो फिल्मस्तान स्टूडियो के मालिक की शागिर्द थीं.

जब देवानंद ने ‘तुम सा नहीं देखा’ करने से किया था इनकार

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जब देवानंद ने ‘तुम सा नहीं देखा’ करने से किया था इनकार

शुरुआती कुछ फिल्में पिटने के बाद उन्होंने अमीता को देवानंद के साथ साइन किया था ताकि उसका करियर चल जाए. देव साहब फिल्म करने को तो तैयार थे, स्क्रिप्ट भी उन्हें पसंद आ गई थी, गाने भी उनके मन मुताबिक रोमांटिक ही थे, लेकिन देव साहब एक भी सुपरहिट ना देने वाली लड़की के साथ फिल्म करने को तैयार ना हुए और हीरोइन बदलने को बोला, तो फिल्मिस्तान के मालिक ने साफ मना कर दिया. आखिरकार हीरो ही बदलना पड़ गया. इस फिल्म के डायरेक्टर थे नासिर हुसैन, जो इससे पहले कई फिल्में लिख चुके थे. नासिर खान, आमिर खान के अंकल थे. नासिर इससे पहले देवानंद के लिए ‘मुनीमजी’ और ‘पेइंग गेस्ट’ जैसी फिल्में लिख चुके थे और ‘तुम सा नहीं देखा’ भी उन्होंने देव साहब के लिए ही लिखी थी. देव साहब के मना करने पर उन्होंने स्टूडियो के मालिक को कहा भी कि हीरोइन बदल लो, लेकिन वो किसी कीमत पर राजी नहीं था.

ऐसे चमकी शम्मी कपूर की किस्मत

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ऐसे चमकी शम्मी कपूर की किस्मत

तब प्रोड्यूसर शशधर मुखर्जी के कहने पर शम्मी कपूर को साइन कर लिया. शम्मी कपूर को भी उस फिल्म के बारे मे पता था और वो पूरी कोशिश कर रहे थे. शम्मी के नाम पर पहले तो नासिर हुसैन राजी नहीं थे. आखिर बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म थी, लेकिन शम्मी को इस फिल्म की इतनी ज्यादा जरूरत थी कि वो उन्हें डिनर पर ले गए और उन्हें किसी भी तरह मना ही लिया.

देवानंद द्वारा ठुकराई दोनों फिल्में हुईं सुपरहिट

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देवानंद द्वारा ठुकराई दोनों फिल्में हुईं सुपरहिट

ये वो फिल्म थी, जिससे उस शम्मी कपूर का उदय हुआ, जिसे आप ‘याहू’ हीरो के तौर पर जानते हैं. यानी मस्ती में बालों को लहराकर, दिल खोलकर डांस करने वाला शम्मी कपूर. हालांकि फिल्म के सुपरहिट होते ही सारा क्रेडिट शम्मी और नासिर के हिस्से में चला गया. हीरोइन अमिता फिर भी नहीं चली. वैसे इस फिल्म ने शम्मी के करियर में ठीक वही रोल प्ले किया, जो अमिताभ के करियर में ‘जंजीर’ ने किया था और दोनों ही फिल्में देव आनंद को ध्यान मे रखकर लिखी गई थीं. एक फिल्म से शम्मी ‘याहू’ हीरो बन गए और दूसरी से अमिताभ बच्चन ‘एंग्री यंग मैन’. देव साहब ना होते, उन मूवीज के लिए मना नहीं करते, तो शायद इन दोनों को हमेशा के लिए मिलने वाले ये खिताब नहीं मिले होते.

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