यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को राहत! सरकार ने कैंसिल किए लाइसेंसिंग एग्जाम, बिना परीक्षा मिलेगी डिग्री
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यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को राहत! सरकार ने कैंसिल किए लाइसेंसिंग एग्जाम, बिना परीक्षा मिलेगी डिग्री

यूक्रेन की सरकार ने लाइसेंसिंग एग्जाम को रद्द करने का फैसला लिया है. अब बिना इस परीक्षा को पास किए ही मेडिकल के विद्यार्थियों को एमबीबीएस की डिग्री दे दी जाएगी.

यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों को राहत! सरकार ने कैंसिल किए लाइसेंसिंग एग्जाम, बिना परीक्षा मिलेगी डिग्री

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जंग अब भी जारी है. इसकी वजह से वहां पर मेडिकल की पढ़ाई करने गए भारतीय छात्र वापस लौट आए हैं. वहां से लौटने के बाद ये छात्र पिछले कई दिनों से परेशान हैं. इसी बीच इन छात्रों के लिए एक राहतभरी खबर आई है. यूक्रेन की सरकार ने एमबीबीएस के फाइनल ईयर के सभी विद्यार्थियों को बिना कोई परीक्षा दिए डिग्री देने का फैसला लिया है. 

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार जंग के हालात को देखते हुए यूक्रेन की सरकार ने लाइसेंसिंग एग्जाम को रद्द करने का फैसला किया है. अब बिना परीक्षा पास किए ही छात्रों को एमबीबीएस की डिग्री दे दी जाएगी. आपको बता दें कि यूक्रेन में मेडिकल और फार्मेसी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अलग से दो एग्जाम पास करने होते हैं. इस परीक्षा को KROK-1 और KROK-2 के नाम से जाना जाता है. वहां मेडिकल के हर विद्यार्थी को ग्रेजुएशन के तीसरे साल में KROK-1 की परीक्षा पास करनी होती है. जबकि उन्हें छठे यानी आखिरी साल में KROK-2 की परीक्षा में पास होना होता है. इसके बाद ही उन्हें फाइनल डिग्री दी जाती है. 

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KROK की परीक्षा हुई कैंसिल
यूक्रेन की सरकार ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि KROK-1 की परीक्षा को अगले साल तक के लिए रद्द कर दिया गया है. जबकि KROK-2 की परीक्षा को इस साल कैंसिल किया जा रहा है. जो कि एमबीबीएस के विद्यार्थियों के लिए बड़ी राहत की खबर है.

18 हजार से अधिक छात्र आए वापस
आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि रूसी आक्रमण के बीच यूक्रेन से फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण काम पूरा हो चुका है. केंद्र सरकार के ऑपरेशन गंगा के तहत 20,000 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से वापस लाया जा चुका है, जिसमें करीब 18000 से अधिक संख्या छात्रों की थी.

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