यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्र ऑनलाइन लेक्चर की गुणवत्ता से बेहद नाखुश
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यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्र ऑनलाइन लेक्चर की गुणवत्ता से बेहद नाखुश

यूक्रेन से भारत लौटे छात्र अभी भी यूक्रेन स्थित विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं और अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए ट्यूशन फीस का भुगतान कर रहे हैं.

यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्र ऑनलाइन लेक्चर की गुणवत्ता से बेहद नाखुश

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को आज करीब दो महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है. युद्ध के शुरुआती दौर में भारतीय छात्रों को अपनी जान बचाने के लिए यूक्रेन के बंकरों में छुपना पड़ा था. हालांकि, भारत सरकार की कोशिशों के बाद सभी छात्र सुरक्षित अपने देश वापस लौट आए. वापस लौटे छात्र अब अपनी आगे की पढ़ाई को लेकर बेहद चिंतित हैं. छात्र अपनी ट्यूशन फीस का भुगतान करने के बाद भी यूक्रेनी विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन क्लासेस की गुणवत्ता से बेहद नाखुश हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुमी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी (Sumy State Medical University) के एमबीबीएस (MBBS) के एक छात्र ने बताया कि उन्होंने पहले ही अपनी वर्तमान सेमेस्टर की फीस का भुगतान कर दिया है, लेकिन यूक्रेनी विश्वविद्यालयों ने यह कहा है कि युद्ध के इन हालातों में वे कक्षाओं को जारी रखने के लिए ऑनलाइन मोड का उपयोग नहीं कर पाएंगे. छात्रों के अनुसार ऑनलाइन कलासेस की गुणवत्ता और मात्रा संतोषजनक नहीं है. छात्र अपनी ट्यूशन फीस का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन ऑनलाइन कलासेस को हर 10 से 15 मिनट में सुरक्षा खतरों के कारण काटना पड़ रहा. साथ ही ऐसी स्थिति में शिक्षक पूरे मन से पढ़ा भी नहीं पा रहे हैं.

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सूमी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक अन्य छात्र ने बताया कि उन्होंने अभी-अभी मेडिकल में अपना पहला साल पूरा किया है, लेकिन उन्हें ऐसे हालातों में भी अपने तीसरे सेमेस्टर के लिए ट्यूशन फीस का भुगतान करना पड़ा है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उन्हें मैसेज के माध्यम से बताया कि अगर वे ट्यूशन फीस का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें उस प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने की अनुमती नहीं दी जाएगी, जहां शिक्षकों की ओर से लेक्चर साझा किए जाएंगे. ऐसे में उन्होंने फीस का भुगतान तो कर दिया है, लेकिन आमतौर पर शिक्षकों की ओर से लेक्चर साझा नहीं किए जा रहे हैं.

उन्होंने बताया कि शिक्षक केवल 10 मिनट पढ़ाते हैं और फिर कहते हैं कि हमारा क्षेत्र फिर से उच्च जोखिम वाला है इसलिए हमें बंकर में छिपना होगा. उसके बाद उस लेक्चर को दोबारा से दोहराया भी नहीं जाता है, जिस कारण उनकी मेडिकल की पढ़ाई और समय का बहुत नुकसान हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस समेस्टर के बाद विश्वविद्यालय से जब अगले सेमेस्टर के बारे में पूछा गया, तो विश्वविद्यालय ने कहा कि वे अभी भविष्य के बारे में निश्चित नहीं हैं. ऐसे में उन्हें यूक्रेनी विश्वविद्यालय को अगले सेमेस्टर की फीस का भुगतान करना होगा, भले ही हम कुछ सीखें या नहीं.

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