आईसीएआर प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रमों को तैयार करने के कार्य में लगा हुआ है. परिषद अगले शैक्षणिक सत्र से कृषि पाठ्यक्रमों के सभी यूजी, पीजी कोर्सेस में प्राकृतिक खेती को एक अलग हिस्से के रूप में शुरू करेगा.
Trending Photos
नई दिल्ली: गुरुवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के एक अधिकारी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र से जुड़े स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्सेस के पाठ्यक्रमों में कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं. साथ ही प्राकृतिक खेती को पाठ्यक्रमों में प्रमुख रूप में जोड़ा जाएगा.
आईसीएआर के सहायक महानिदेशक एस पी किमोथी ने बताया कि परिषद का शिक्षा विभाग अभी भी प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम को तैयार करने पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए एक समिति का गठन किया गया है और जल्द ही समिति की तरफ से इस मामले की रिपोर्ट भी दर्ज की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती उत्पादन की कुशलता में सुधार और लागत को कम करने के लिए एक प्रणाली है, इसलिए इस क्षेत्र में युवा पेशेवरों को प्राकृतिक खेती का ज्ञान होना भी अनिवार्य है.
रज्जू भय्या विवि के कॉलेज जल्द करें यह काम, वरना रद्द होगी मान्यता
किमोथी ने कहा कि प्राकृतिक खेती को अब तक एक अलग विषय के रूप में नहीं पढ़ाया जाता था. यह केवल जैविक खेती के पाठ का एक हिस्सा हुआ करता था, लेकिन अब अगले शैक्षणिक सत्र से कृषि पाठ्यक्रमों के सभी यूजी, पीजी कोर्सेस में प्राकृतिक खेती को एक अलग हिस्से के रूप में शुरू किया जाएगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा था कि केंद्र सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक योजना पर काम कर रही है. साथ ही कृषि की इस पारंपरिक खेती की विधी को कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर भी विचार कर रही है.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि कृषि शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम में उस गती से बदलाव किया जाना चाहिए जिस गति से कृषि के क्षेत्र में बदलाव आ रहा है.