अब दिल्ली पुलिस भी उसी तकनीक का इस्तेमाल कर आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने में जुटी हुई है.
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नई दिल्ली: दिल्ली दंगों (Delhi Riots) में पुलिस से बचने के लिए और एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाने के लिए दंगाइयों ने जिन हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया था, अब दिल्ली पुलिस भी उसी तकनीक का इस्तेमाल कर आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने में जुटी हुई है.
जांच अधिकारियों के अनुसार, दिल्ली के नार्थ ईस्ट जिले में 23, 24 और 25 फरवरी को दंगाइयों ने कॉल सर्विलांस से बचने के लिए VOIP ऑन करके व्हाट्सएप्प कॉल किया था. इतना ही एक खास समुदाय के लोगों की गाड़ियों में आग लगाने के लिए पहले सरकारी वेबसाइट (ई-वाहन) पर गाड़ी के मालिक की जानकारी निकाली गई थी और उसके बाद ही आग लगाई गई.
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पुलिस को डंप डेटा एनालिसिस के आधार पर पता चला है कि चांद बाग इलाके में दंगे के वक्त करीब 10,000 से ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबर एक ही स्पॉट पर एक्टिव थे. इससे ये साफ होता है कि एक समय पर वहां 10 हजार प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे. पुलिस अब Face Recognition सिस्टम और जियोलोकेशन विश्लेषण के जरिए दंगाई के लोकेशन की पहचान कर रही है. इसके साथ ही मोबाइल फोरेंसिक के जरिए फोन क्लोन करके उसके अंदर मौजूद खुद का बनाया डेटा और मोबाइल में ऑडियो रिकॉर्डिंग की जानकारी जुटाई गई है.
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