Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ हॉस्टल में रहना भी फ्री, पढ़ लीजिए पूरी डिटेल
Advertisement

Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ हॉस्टल में रहना भी फ्री, पढ़ लीजिए पूरी डिटेल

Delhi University Free Hostal: यूनिवर्सिटी ने हाल ही में अगले शैक्षणिक सत्र से सुपरन्यूमेरिरी कोटा के तहत अनाथ बच्चों के लिए अपने हर अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में सीटें रिजर्व करने का फैसला किया है.

Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ हॉस्टल में रहना भी फ्री, पढ़ लीजिए पूरी डिटेल

Delhi University free Education: पढ़ाई के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एक अलग पहल शुरू की है. दिल्ली विश्वविद्यालय कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले हजारों अनाथ बच्चों को उनके लिए सीट रिजर्व करने की विश्वविद्यालय की नई पहल के साथ मुफ्त में हायर एजुकेशन हासिल करने का अवसर दे रहा है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय किसी भी आधार पर बिना किसी भेदभाव के हायर एजुकेशन चाहने वाले स्टूडेंट्स को शिक्षा प्रदान करने के लिए तत्पर है.

यूनिवर्सिटी ने हाल ही में अगले शैक्षणिक सत्र से सुपरन्यूमेरिरी कोटा के तहत अनाथ बच्चों के लिए अपने हर अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में सीटें रिजर्व करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे स्टूडेंट्स को किसी भी प्रकार के फीस के भुगतान से भी छूट दी जाएगी. कार्यकारिणी परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

पहल हर साल हजारों बच्चों की मदद करेगी. हम कोविड से बाहर आ रहे हैं. महामारी के दौरान कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया. इस पहल से उन स्टूडेंट्स को भी मदद मिलेगी. विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों एवं विभागों में अंडर ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट दोनों लेवल पर सभी क्लास में अनाथ स्टूडेंट्स के लिए एक-एक सीट रिजर्व रहेगी.

दिल्ली विश्वविद्यालय उन स्टूडेंट्स समेत समाज के हर वर्ग को उच्च शिक्षा प्रदान करने के महत्व को समझता है, जो दुर्भाग्य से अपने माता-पिता को खो चुके हैं और अनाथ हो गए हैं. विश्वविद्यालय या इसके महाविद्यालयों में ऐसे स्टूडेंट्स के प्रवेश और अध्ययन को जारी रखने के लिए होने वाले खर्च की पूर्ति विश्वविद्यालय कल्याण कोष या महाविद्यालय छात्र कल्याण कोष से की जाएगी.

यूनिवर्सिटी के कुलपति ने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित साल 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) की उपलब्धि की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा और विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में चल रहे प्रयासों को अपने संस्थागत सामाजिक उत्तरदायित्व (ISR) से जोड़ेगा.

नई नौकरी की तलाश में हैं तो तुरंत क्लिक करें

भारत की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi - अब किसी और की जरूरत नहीं

Trending news