डीजल वाहनों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार को दिया SPG की याचिका पर नोटिस
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डीजल वाहनों के पंजीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, दिल्ली सरकार को दिया SPG की याचिका पर नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति के लिये स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है

फाइल फोटो

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति के लिये स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) की याचिका पर मंगलवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने एसपीजी के डीजल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. न्यायमूर्ति रोहिंग्टन एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की तीन सदस्यीय पीठ ने एसपीजी की याचिका पर केन्द्र, दिल्ली सरकार, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और अन्य को नोटस जारी किए हैं. इन सभी को चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देने हैं.

  1.  दिल्ली में किसी भी व्यावसायिक डीजल वाहन का पंजीकरण नहीं 
  2. चार सप्ताह के भीतर नोटिस के जवाब देना है
  3. एसपीजी का आवेदन खारिज कर दिया था

एसपीजी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के नौ अक्टूबर, 2019 के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. हरित अधिकरण ने डीजल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति देने से इंकार करने संबंधी आदेश पर पुनर्विचार के लिए एसपीजी का आवेदन खारिज कर दिया था. हरित अधिकरण ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर यह अनुमति नहीं दी जा सकती. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली में किसी भी नए डीजल वाहन का पंजीकरण नहीं होगा.

अधिकरण ने कहा था कि बाद में शीर्ष अदालत ने कुछ शर्तो के साथ 2000 सीसी इंजन की क्षमता वाली निजी कारों और एसयूवी डीजल वाहनों को पंजीकरण की अनुमति प्रदान कर दी थी. हरित अधिकरण ने कहा था कि यद्यपि उसने बाद में सार्वजनिक उपयोग वाले वाहनों के मामलों में छूट दी थी, लेकिन हमेशा के लिए ऐसे आदेश पारित नहीं किए जा सकते ताकि ये नियम बन जाएं.

अधिकरण ने कहा कि उसने पहले निर्देश दिया था कि दिल्ली में किसी भी व्यावसायिक डीजल वाहन का पंजीकरण नहीं हो सकता है. अधिकरण ने कहा कि वह परस्पर विरोधी आदेश पारित नहीं कर सकता है. दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु की गिरती गुणवत्ता को लेकर अधिवक्ता वर्द्धमान कौशिक की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया था.

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