G-20: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कह दी बड़ी बात, इस स्थिति को बताया बेहद नाजुक
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G-20: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कह दी बड़ी बात, इस स्थिति को बताया बेहद नाजुक

Economy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विषय पर भी विचारों को आमंत्रित किया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों को किस तरह मजबूत किया जा सकता है जिससे वे 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सके, साथ ही सतत विकास लक्ष्यों और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित रख सकें.

G-20: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कह दी बड़ी बात, इस स्थिति को बताया बेहद नाजुक

Nirmala Sitharaman Update: जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कई मुद्दों पर अपनी बात रखी. इसके साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई विकासशील देशों की कर्ज को लेकर नाजुक होती स्थिति का विषय उठाया और इस भार से निपटने के लिए ‘बहुपक्षीय समन्वय’ के बारे में जी-20 के सदस्य देशों से विचार आमंत्रित किए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस विषय पर भी विचारों को आमंत्रित किया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों को किस तरह मजबूत किया जा सकता है जिससे वे 21वीं सदी की साझा वैश्विक चुनौतियों का सामना कर सके, साथ ही सतत विकास लक्ष्यों और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित रख सकें.

जी-20
जी-20 एफएमसीबीजी बैठक के पहले सत्र में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे, सतत वित्त और अवसंरचना पर बात हुई. वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘वित्त मंत्री ने अनेक संवेदनशील देशों में कर्ज को लेकर बढ़ते अस्थिरता के हालात का जिक्र किया और बहुपक्षीय सहयोग पर जी-20 के सदस्य देशों से विचार मांगे. उन्होंने कहा कि वैश्विक कर्ज अस्थिरता का प्रबंधन करना विश्व अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी होगा.’’

विकासशील देशों की जो नाजुक स्थिति
गौरतलब है कि विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने पिछले वर्ष दिसंबर में कहा था कि दुनिया के सबसे गरीब देशों पर सालाना 62 अरब डॉलर का कर्ज है जो 2021 के 46 अरब डॉलर की तुलना में 35 फीसदी बढ़ गया है और इसके साथ ही चूक का जोखिम भी बढ़ गया है. ऐसी आशंका है कि कर्ज को लेकर विकासशील देशों की जो नाजुक स्थिति है यदि उस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह वैश्विक मंदी का कारण बन सकती है और लाखों लोगों को भीषण गरीबी में धकेल सकती है. (इनपुट: भाषा)

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