Indian Economy: कैसी रहेगी देश की आर्थिक वृद्धि? Nirmala Sitharaman ने कह दी दिल खुश करने वाली बात
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Indian Economy: कैसी रहेगी देश की आर्थिक वृद्धि? Nirmala Sitharaman ने कह दी दिल खुश करने वाली बात

Indian Economy Ranking: निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि मुफ्त के उपहारों को लेकर एक ठोस बहस की जरूरत है. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए.

निर्मला सीतारमण

Economy of India: हर देश के लिए उसकी अर्थव्यवस्था काफी मायने रखती है. मजबूत अर्थव्यवस्था के साथ देश काफी तरक्की की ओर बढ़ सकता है. वहीं अब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भारत की अर्थव्यवस्था के बढ़ने की बात कही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2022-23 में 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में भी ये रफ्तार बरकरार रहेगी. इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने मुफ्त के उपहारों को लेकर ठोस बहस की दरकार जताई है.

वृद्धि पूर्वानुमानों का जिक्र

सीतारमण ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘गतिविधियों के आधार पर अनुमान बताते हैं कि हम निश्चित रूप से इस स्तर पर रहेंगे... 7.4 (प्रतिशत) और यह स्तर अगले साल भी जारी रहेगा.’’ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अन्य संस्थानों के वृद्धि पूर्वानुमानों का जिक्र किया. सीतारमण ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक ने अगले दो वित्त वर्ष के लिए भारत की वृद्धि दर सबसे तेज रहने का अनुमान जताया है और उनका अनुमान भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से भी मेल खाता है.

वैश्विक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण

वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक स्थिति लगातार चुनौतीपूर्ण बनी हुई है और अभी हालात को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि निर्यात क्षेत्र को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि वैश्विक वृद्धि धीमी हो गई है. सरकार इन संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेगी, ताकि वे विपरीत परिस्थितियों का सामना कर सकें.

ठोस बहस की जरूरत

वहीं सीतारमण ने कहा कि मुफ्त के उपहारों को लेकर एक ठोस बहस की जरूरत है. साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव से पहले वादे करने वाले राजनीतिक दलों को खर्चों का ध्यान रखने के लिए बजटीय प्रावधान करना चाहिए, न कि अन्य संस्थाओं पर बोझ डालना चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों और उत्पादन कंपनियों को इस तरह की मुफ्त सुविधाओं का खामियाजा भुगतना पड़ा है.

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