अमेरिका नहीं भारत में सबसे पापुलर हैं Whatsapp और फेसबुक, छह गुना ज्‍यादा समय बिताते हैं भारतीय
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अमेरिका नहीं भारत में सबसे पापुलर हैं Whatsapp और फेसबुक, छह गुना ज्‍यादा समय बिताते हैं भारतीय

2017 में यूनिक मोबाइल यूजर के मामले में भारत टॉप पर, 400 फीसदी की बढ़ोतरी.

भारतीयों ने डिजिटल दुनिया में बिताए गए पूरे समय में से करीब 90 फीसदी समय मोबाइल को दिया.(demo pic)

नई दिल्ली: भारतीय किसी अमेरिकी से छह गुना ज्‍यादा समय मोबाइल पर बिताते हैं. एक अध्‍ययन के मुताबिक 2017 में एक भारतीय ने औसत 50 घंटे (3000 मिनट) फोन पर बिताए जबकि डेस्‍कटॉप पर 1200 मिनट लगाए. वहीं अमेरिका में यह आंकड़ा 5000 मिनट का है जबकि अर्जेंटीना में 6000 मिनट का है. इससे जाहिर होता है कि तेजी से बढ़ते स्‍मार्टफोन बाजार में भारत की पहचान बढ़ी है. यानि भारत मोबाइल फर्स्‍ट नेशन बनने की ओर अग्रसर है. डाटा एनालिटिक्‍स कंपनी कॉमस्कोर की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीयों ने डिजिटल दुनिया में बिताए गए पूरे समय में से करीब 90 फीसदी समय मोबाइल को दिया, जिसमें 98 प्रतिशत समय व्हाट्सऐप पर बीता. 

  1. भारतीयों ने औसत 50 घंटे (3000 मिनट) फोन पर बिताए
  2. वहीं अमेरिका में औसत 5000 मिनट मोबाइल पर बीते
  3. गूगल प्ले, यू-ट्यूब, जीमेल व गूगल सर्च भी लोकप्रिय ऐप

ऑनलाइन मिनटों में 89% समय फोन पर गुजरा
'टाइम्‍स ऑफ इंडिया' ने डाटा एनालिटिक्‍स कंपनी कॉमस्कोर के हवाले से यह रिपोर्ट जारी की है. इसमें बताया गया है कि भारतीयों ने अपने संपूर्ण ऑनलाइन मिनटों में फोन पर 89 प्रतिशत खर्च किया. कॉमस्कोर के मुताबिक ज्यादातर भारतीय स्मार्टफोन का उपयोग करते हुए सबसे ज्यादा समय इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को देते हैं. 

इंस्टैंट मैसेजिंग पर बिताया सबसे ज्‍यादा समय
ये टॉप 5 मोबाइल ऐप्स- व्हाट्सऐप, गूगल प्ले, यू-ट्यूब, जीमेल और गूगल सर्च हैं. इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्स पर बिताए गए पूरे समय में से भारतीय करीब 98 प्रतिशत व्हाट्सऐप पर बिताते हैं. बाकी बचा 2 प्रतिशत समय फेसबुक मैसेंजर पर खर्च होता है. वहीं अमेरिकी केवल 1 प्रतिशत समय व्‍हाट्सऐप को देते हैं.

विकासशील देशों में मोबाइल का इस्‍तेमाल अधिक
जहां एक तरफ भारतीयों ने अपने सभी ऑनलाइन मिनटों में से फोन पर 89 प्रतिशत खर्च किया, वहीं मेक्सिको के लोग 80 प्रतिशत समय और अर्जेंटीना के लोग 77 प्रतिशत समय फोन को देते हैं. इंडोनेशिया में यह आंकड़ा 89 फीसदी था. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में ऐसा सस्‍ते डाटा और वायस प्‍लान की बदौलत संभव हुआ है.

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