बैंकर्स ने कहा, मूडीज़ रेटिंग बढ़ने से वित्तीय क्षेत्र को सबसे ज्यादा फायदा
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने रेटिंग उन्नयन को भारत के बारे में दुनिया के नजरिये की एक बार फिर से की गई पुष्टि बताया. लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा थी.
- मूडीज की रेटिंग में यह सुधार 13 वर्ष बाद हुआ है.
- इससे पहले 2004 में देश की रेटिंग सुधारकर ‘बीएए3’ की गयी थी.
- बीएए3 रेटिंग निवेश श्रेणी का सबसे निचला दर्जा है.
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मुंबई: बैंकों ने देश की रेटिंग में सुधार पर प्रसन्नता जाहिर करते हुये कहा है कि लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा थी. उनका कहना है कि मूडीज़ द्वारा भारत की रेटिंग को एक पायदान उठाकर बीएए2 करने से देश में हो रहे सुधारों को मान्यता दी गई है. यह अर्थव्यवस्था विशेषतौर से वित्तीय क्षेत्र के लिये काफी फायदेमंद होगा. इससे विदेशों से लिया जाने वाला कर्ज सस्ता होगा. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने रेटिंग उन्नयन को भारत के बारे में दुनिया के नजरिये की एक बार फिर से की गई पुष्टि बताया. लंबे समय से इसकी प्रतीक्षा थी.
उन्होंने कहा कि यह कदम एक तरह से भारत में किये जा रहे सुधार उपायों को दुनिया की स्वीकारोक्ति है. इससे भारत के लिये विदेशों से कर्ज लेना अपने आप ही सस्ता हो जायेगा. स्टेट बैंक सहित चार अन्य बैंकों की रेटिंग में भी सुधार किये जाने पर कुमार ने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि देश की वित्तीय प्रणाली मजबूत है और वह आर्थिक वृद्धि को समर्थन देने की क्षमता रखती है.
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आईसीआईसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने भी कहा कि देश की रेटिंग में सुधार यहां किये जा रहे आर्थिक सुधारों को मान्यता देना है. स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक सहित देश के चार वित्तीय संस्थानों की रेटिंग में मूडीज ने सुधार किया है. उन्होंने कहा कि रेटिंग में सुधार से पूंजी प्रवाह और आवंटन बेहतर होगा.
एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा कि रेटिंग उन्नयन की यह घोषणा कुछ देरी से आई है. ‘‘मैं हमेशा यह महसूस करता था कि देश की रेटिंग जहां होने चाहिये थी उससे काफी नीचे रखी गई है. खासतौर से पिछले दो-तीन साल से सरकार ने कई तरह के सुधारों को आगे बढ़ाया है.’’
कोटक महिन्द्रा बैंक के उदय कोटक ने कहा कि हालांकि रेटिंग में किया गया यह सुधार दीर्घकाल में काफी सकारात्मक है और स्थायित्व की तरफ हमारे बढ़ने के बारे में दुनिया को स्पष्ट संकेत है, लेकिन हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है और सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ना है.
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लक्ष्मी विलास बैंक की पार्थसारथी मुखर्जी ने कहा कि रेटिंग उन्नयन सरकार द्वारा उठाये गये उन कई कदमों के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में आये बदलाव को दुनिया की मान्यता देना है. इससे संकेत मिलता है कि सुधारों को प्रभावी माना गया है. स्टेट बैंक की एक शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की राजकोषीय सुदृढ़ता को लेकर प्रतिब्द्धता को देखते हुये भारत को रेटिंग में अगले सुधार के लिये अब 13 साल इंतजार नहीं करना पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा रेटिंग में अगले सुधार के लिये हमें अब 13 साल का इंतजार नहीं करना होगा, क्योंकि सरकार राजकोषीय मजबूती के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध नजर आती है.’’
(इनपुट एजेंसी से भी)